क्यों डूबता है हर बारिश में उज्जैन

नई सड़क से लेकर बेगमबाग रोड होकर रुद्रसागर तक जाने वाले नाले का आखिरी 50 फीट का मुहाना सकरा होने के कारण करीब 50 हजार रहवासियों के माथे पर बारिश आते ही मुसीबत सवार हो जाती है। जरा तेज बारिश हो जाए तो इन्हें बचाव के इंतजाम में जुटना पड़ता है। रात में बारिश हो तो घरों में जागरण, सुबह सबसे पहले दुकान से पानी निकालने की मशक्कत। ये हालात कोई ताजे नहीं हैं। सालों से यह सिलसिला चल रहा है पर अफसर इस समस्या का निदान करने की बजाए यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि यह तो हर साल का रोना है। इसका कोई हल नहीं। रहवासियों के नाउम्मीदगी भरे शब्द हैं- बचपन से पचपन के हो गए, अब तक तो समस्या हल नहीं हुई, अब क्या हो जाएगी।
यह मजबूरी कोई एक वार्ड की नहीं, छह वार्डों में रहने वालों की है। यही नहीं इन वार्डों से होकर निकलने वाले मुख्य मार्गों पर आवागमन करने वाले शहर के लोगों को भी इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है। कई बार तो सड़कों पर पानी भरा होने से रास्ते बंद हो जाते हैं। लोगों को दूसरे रास्तों से होकर आना-जाना पड़ता है। यानी दूसरे प्रकार से यह पूरे शहर की समस्या है। तोपखाना, खंदार, लोहे का पुल और आसपास के क्षेत्र में जल जमाव होने से महाकाल मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को खासी परेशानी उठानी पड़ती है। या तो वे गंदे पानी से होकर मंदिर जाएं या फिर दूसरे रास्तों से होकर। देवासगेट और रेलवे स्टेशन से आने वाले यात्री देवासगेट से सीधे तोपखाना होकर मंदिर पहुंचते हैं। इनके सामने यह बड़ा संकट होता है। फ्रीगंज से महाकाल जाने वाले लोग भी इसी मार्ग से जाते हैं। इसके निदान के लिए इस बार भी कोई योजना नहीं बनी है। पिछले दिनों हुई बारिश से इन क्षेत्रों में पानी भर गया था।
सड़कों पर बारिश में जल जमाव के हालातों के चलते यहां घर और दुकानें सड़क से ऊंची बनाई जाती है। बावजूद बारिश का पानी घरों व दुकानों में घुस जाता है। अधिकांश इलाके व्यावसायिक हैं। भारी बारिश हो तो पानी भर जाने से व्यापार ठप हो जाता है। पानी दुकानों में घुस जाने से होने वाला नुकसान उन्हें भुगतना पड़ता है। यानी व्यापारियों को दो तरफा नुकसान उठाना पड़ता है। करीब 1800 मीटर के इस नाले के विभिन्न हिस्सों की भास्कर ने पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। समय-समय पर नगर निगम ने यहां कुछ सुधार कार्य कराए हैं। लेकिन इसका मुकम्मल इलाज नहीं हो पाया है। इस कारण इस बारिश में भी लोगों की मुसीबत जस की तस रहने वाली है।
नई सड़क से गंदा नाला पैक
नई सड़क पर बिजली ऑफिस से लेकर गंदे नाले का हिस्सा 300 मीटर है। नाला ढंका है। इसलिए सफाई हर समय नहीं हो पाती। नाले के आसपास मकान और व्यावसायिक प्रतिष्ठान है। यहां तेज बारिश में 6 फीट तक पानी भर जाता है। पानी की निकासी धीमी होने से घंटों तक लोगों का आवागमन बंद रहता है। संकरे रास्ते होने और निरंतर आवागमन से नाले की सफाई करना चुनौती है।
गंदे नाले से एटलस चौराहा
यह हिस्सा करीब 180 मीटर है। यहां भी नाला ढंका है। इसके किनारे व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं। बारिश का पानी भरने के कारण दुकानें ऊंचाई पर बनाई हैं। तेज बारिश में 4 फीट तक पानी भर जाता है। लगातार बारिश हो तो दुकानों में पानी घुसने की आशंका रहती है। लोग बताते हैं सालों पहले यहां एक बच्चा नाले में बह गया था। इसके बाद नाले का सुधार किया गया था। जालियां लगाई थीं।
एटलस चौराहे से उपकेश्वर महादेव
नाले का यह हिस्सा करीब 100 मीटर लंबा है। यहां फव्वारा चौक, दौलतगंज इलाके का पानी आता है। नाला सकरा होने से पानी की निकासी बाधित होती है। यहां भी तेज बारिश में 4 फीट तक पानी भर जाता है। इससे आवागमन अवरुद्ध हो जाता है। व्यावसायिक क्षेत्र होने से दुकानदारों को परेशानी उठाना पड़ती है। इसी से जुड़े अमरपुरा, तोपखाना और आसपास के क्षेत्रों में जल जमाव होता है। यह क्षेत्र रहवासी होने से सामान्य जनजीवन प्रभावित होता है।
खंदार मोहल्ला से नलिया बाखल
नाले का हिस्सा 600 मीटर लंबा है। यह आवासीय क्षेत्र है। नाले के किनारे पुरानी बस्तियां हैं। नलिया बाखल और खंदार वाले हिस्से चारों तरफ से ऊंचे और बीच में गड्ढा होने से तेज बारिश में यहां 6 से 7 फीट तक पानी भर जाता है। ऐसे में यहां लोगों के सामने घरों में रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।
नलिया बाखल से बेगमबाग रोडना
ले का यह हिस्सा 350 मीटर लंबा है। नाले के किनारे आवासीय क्षेत्र है। नलिया बाखल तक पानी भरने की समस्या यहीं से शुरू होती है। यह स्थिति नई सड़क तक बन जाती है। बेगमबाग रोड क्रास के बाद नाले का 50 मीटर लंबा हिस्सा वह मुहाना है जहां जाकर पानी की निकासी बाधित होती है।
इन समस्याओं से रूबरू होते हैं रहवासी
- बीमारी फैलने की आशंका रहती है।
- सैप्टिक टैंक में पानी भरने से पानी ओवरफ्लो होकर घरों में पहुंचता है।
- पानी भरने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।
- बीमार अस्पताल नहीं पहुंच पाते।
यह है समाधान
- नई सड़क जहां से नाला शुरू होता है। यह नाला पुराना है। इसका चौड़ीकरण किया जाए।
- नई सड़क से रूद्र सागर तक 12*12 के डायमीटर में इस नाले का निर्माण किया जाए।
- अंतिम मुहाने को चौड़ा किया जाए ताकि पानी की निकासी रुद्रसागर की तरफ तेजी से हो।
- पूरे नाले की सफाई का अभियान चलाएं ताकि पानी तेजी से बह कर निकले।
रात में बारिश, सुबह दुकान खोली तो आधा फर्नीचर तैर रहा था
दो बार हो चुका है जब बारिश का पानी दुकान में ढाई फीट तक घुसा। जुलाई 2002 में रात में बारिश हुई सुबह जागे तो दुकान का आधा फर्नीचर तैर रहा था। 2015 में भी ऐसे ही हालात बने।
-सुरेंद्र रोहरा, व्यापारी लाल मस्जिद
बनवाई ढाई फीट की दीवार
नई सड़क पर दुकान व डाबरी पीठा में गोदाम है। दोनों जगह बारिश में पानी भरता है। गोदाम में तो इस बार की बारिश में ही पानी भर गया। गोदाम में पानी न घुसे इसलिए गेट पर ढाई फीट की दीवार बनाई है।
-अब्दुल कादिर पीठावाला, व्यापारी नई सड़क
दुकान में आने का रास्ता नहीं रहता
शहर का सबसे बड़े नालों में एक डाबरी पीठा क्षेत्र का है। जिस दिन तेज बारिश होती है उस दिन दुकानों, गोदामों में इंट्री तक नहीं कर सकते। 2015 में ढाई से तीन फीट पानी जमा हो गया था।
-मसरत हुसैन, संचालिका क्रिएटिव फैशन डाबरीपीठा
10 फीट गहरा नाला, सफाई नहीं हुई
डाबरी पीठा से लोहे का पुल की ओर जाने वाले मार्ग पर 10 फीट गहरा नाला है। इसकी एक बार भी पूरी तरह से सफाई नहीं हुई है। 2005 में घर के अंदर ढाई फीट तक सीलन आ गई थी।
-जेनुद्दीन सफदरी, व्यापारी, नगारची बाखल
जिम्मेदारों का जवाब: बारिश के पानी की निकासी की योजना बनेगी
समस्या गंभीर है। पुरानी बस्ती होने के कारण मौजूदा आबादी के मान से नाले का विकास नहीं हो पाया है। इस कारण क्षेत्रों में बारिश का पानी भरता है। इसका निदान करने के लिए पूरे नाले का सर्वे करेंगे। कहां क्या जरूरत है, इसका पता लगाया जाएगा। नागरिकों को इस बारिश में समस्या न आए इसके इंतजाम भी करेंगे।
क्षितिज सिंघल, निगमायुक्त