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लैप्स हो चुकी पॉलिसियाें को शुरू करने वाले 25% बढ़े, इनमें सबसे ज्यादा युवा
कोरोना संकट काल में भारतीय जीवन बीमा निगम हो या कोई अन्य प्राइवेट इंश्योरेंस कपनी हो हर जगह कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी या जीवन बीमा की पाॅलिसी लेने वालों की संख्या में 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
जीवन बीमा निगम के इंदौर मंडल के विपणन प्रबंधक अजय कुमार के अनुसार परंपरागत पॉलिसी की बजाए कोरोना काल में ऐसे युवा वर्ग जो 18 से 40 की उम्र के हैं(सालाना 8 से 12 लाख तक वेतन) उनकी रुचि टर्म प्लान में अधिक है। युवा परिवार की सुरक्षा को लेकर बेहद संजीदा है। इनका मानना है कि अगर उन्हें कुछ हो जाएं तो परिवार की आजीविका पर कोई संकट न हो।
युलिप प्लान (यूनिट लिंक्ड प्लान)में युवाओं का रुझान इसलिए भी है क्योंकि इस प्लान में निवेश के साथ सुरक्षा भी है। माधव नगर स्थित जीवन बीमा निगम के शाखा प्रबंधक राहुल भटनागर बताते हैं कि अप्रैल के बाद सबसे ज्यादा पूछताछ लैप्स पॉलिसियों के पुर्नचलन को लेकर आई है।
ऐसे ग्राहक भी पॉलिसियों के पुर्नचलन के आ रहे हैं जिनकी पॉलिसी 5 साल से लैप्स है। इन ग्राहकों को ब्याज में छूट के साथ पॉलिसी फिर से शुरु करने की सुविधा दी गई है। टर्म प्लान और लैप्स पॉलिसियों के पुर्नचलन की संख्या में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। साथ ही समय पर प्रीमियम का भुगतान करने की प्रवृति में भी आश्चर्यजनक सुधार हुआ है।
कैशलैस हेल्थ इश्योरेंस पर लोगों का ज्यादा रुझान
वरिष्ठ बीमा अभिकर्ता बृजमोहन गुप्ता कहते हैं टर्म प्लान के साथ ही वर्तमान में लोगों का अधिक रुझान कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस की तरफ है। पांच लाख की इंश्योरेंस करवाने के बाद किसी भी बीमारी का इलाज पैनल अस्पतालों में संभव है लेकिन अगर कोई पॉलिसी धारक पैनल से हटकर किसी अन्य अस्पताल से उपचार करवाता है तो उसे पहले अस्पताल का भुगतान अपनी जेब से करना पड़ता है बाद में बिल देने पर इलाज का सारा पैसा मिल जाता है।
वरिष्ठ अभिकर्ता गुप्ता के अनुसार कोरोना आपदा के कारण अब एक फार्म भरवाया जाने लगा है जिसमें पॉलिसी लेने वाले को जानकारी देनी होती है कि वो किसी बाहरी राज्य या देश से तो नहीं लौटा या उसे कोरोना संक्रमण एवं लक्ष्ण तो नहीं हैं।
पालिसी जारी होने के 15 दिनों के भीतर अगर किसी पॉलिसी धारक की मौत कोरोना से होती है तो उसे क्लेम नहीं मिल सकता। इसके अलावा बीमा पॉलिसी धारक अगर प्रीमियम समय पर भरता है और उसकी किसी भी कारण से मौत होती है तो क्लेम 24 घंटे में अदा किया जाता है।
कोरोना कवच पॉलिसी अधिक लोकप्रिय
बीमा क्षेत्र के विशेषज्ञ विनयराज शर्मा बताते हैं कोरोना कवच हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी बाजार में आने के साथ ही बेहद लोकप्रिय हो गई है। कोविड-19 महामारी के प्रसार को देखते हुए सभी साधारण और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों ने कोरोना के इलाज के लिए यह प्रोडक्ट 10 जुलाई से शुरू किया है। मकसद है लोग महामारी के इलाज के लिए मुनासिब दर पर स्वास्थ्य बीमा कवर ले सकें।
यह हैं फीचर :
कोरोना कवच पॉलिसी साढ़े तीन महीने से साढ़े नौ महीने के लिए बेची जा रही है, इसमें बीमित व्यक्ति के चिकित्सा खर्च की अधिकतम राशि पांच लाख रुपये है। बीमा नियामक इरडा ने इसके लिए कंपनियों को मंजूरी दी है। कोरोना कवच लेने वाले बीमा धारक की अधिकतम आयु 65 वर्ष ही निर्धारित की गई है, इस फीचर से 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में निराशा है।