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- भस्म आरती: बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार त्रिपुण्ड, भांग, चन्दन अर्पित करके किया गया!
- भस्म आरती: राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, त्रिपुण्ड, त्रिनेत्र, चन्दन और फूलों की माला अर्पित कर किया गया दिव्य श्रृंगार
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यूनिवर्सिटी का कारनामा:एलएलबी में प्रवेश लेने वाले छात्र को बना दिया विधि अध्ययनशाला का विभागाध्यक्ष
विक्रम विश्वविद्यालय ने इसी सत्र से शुरू की विधि अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष का प्रभार एक ऐसे व्यक्ति को सौंपा दिया है, जिसने इसी वर्ष शासकीय विधि महाविद्यालय में प्रवेश लिया है। विश्वविद्यालय की ओर से इस संबंध में बाकायदा आदेश भी निकाला गया है। इसमें आगामी आदेश तक उन्हें यह दायित्व देने की बात लिखी है। कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय का कहना है कि उन्हें अस्थायी रूप से प्रभार सौंपा है। विश्वविद्यालय में इसी सत्र से एमए योग, एलएलएम, रामचरितमानस में विज्ञान और संस्कृति पाठ्यक्रम के साथ 6 दिसंबर 2020 को विधि अध्ययनशाला की शुरुआत उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने की थी। विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान के सहायक प्राध्यापक डॉ. दर्शन दुबे को उनके शैक्षणिक कार्य के साथ विधि अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष का प्रभार दिया है। डॉ. दुबे ने इसी वर्ष शासकीय विधि महाविद्यालय में बतौर नियमित विद्यार्थी एलएलबी में प्रवेश लिया है। ऐसे में वे एलएलबी करने से पहले ही एलएलएम के विभाग अध्यक्ष का प्रभार संभाल रहे हैं। यह पाठ्यक्रम शासकीय विधि महाविद्यालय के अधीन होगा। कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया अब तक 30 आवेदन आए हैं। विधि अध्ययनशाला में डाॅ. दर्शन दुबे को प्रशासनिक प्रमुख बनाया है। वे अध्यापन की जगह अध्ययनशाला का प्रशासनिक कार्य देखेंगे। शासकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एसएन शर्मा पाठ्यक्रम समन्वयक हैं।
प्रभारी के लिए विभाग की योग्यता जरूरी
^विवि के किसी भी विभाग में प्रभारी न होने की स्थिति में कुलपति के पास अधिकार सुरक्षित हैं कि वे किसी को भी प्रभारी बना सकते हैं लेकिन संबंधित विभाग की योग्यता जरूरी है। एलएलएम और एलएलबी में बड़ा अंतर है। एलएलबी के छात्र को एलएलएम का प्रभारी बनाना उचित नहीं है।
गोपाल शर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र
कामकाज देखने के लिए सौंपा दायित्व
^एलएलएम विभाग के लिए डॉ. दर्शन दुबे को अस्थायी तौर पर दायित्व सौंपा है। उनका विभाग फार्मेसी विधि अध्ययनशाला के पास है। ऐसे में वे अपने विभाग का काम देखने के साथ विधि अध्ययनशाला का काम देख लेंगे। विभागाध्यक्ष के लिए अगल से प्रक्रिया की जाएगी।
प्रो. एसएन शर्मा, प्राचार्य व डीन विधि महाविद्यालय