हादसों का मोड़:12 लोगों की मौत के बाद दो साल लगे पर सीधा कर ही दिया उज्जैन-नागदा मार्ग का अंधा मोड़

उज्जैन-उन्हेल मार्ग पर 28 जनवरी 2019 की रात हुए भयावह हादसे में एक ही परिवार के 12 लोगों की जान लेने वाला अंधा मोड़ अब खत्म हो गया है। दर्दनाक हादसे के बाद रोड की तकनीकी खामी का मुद्दा उठाते हुए भास्कर ने अंधा मोड़ खत्म करने के लिए मुहिम चलाई तो एमपीआरडीसी के तत्कालीन अधिकारियों ने इसे असंभव बताया था। फिर ये अंधा मोड़ किसी की जान न ले, इसलिए अभियान जारी रहा। …और नतीजा- असंभव, संभव हो गया।

नागदा से मांगलिक कार्यक्रम के बाद उज्जैन लौट रहे एक ही परिवार के 12 लोगों की मौत उज्जैन-उन्हेल रोड के अंधे मोड़ पर हुई तो सबसे बड़ा सवाल रोड की तकनीकी खामी को लेकर उठा। अंधे मोड़ को सीधा करने के लिए थोड़ी निजी जमीन अधिगृहीत करने की जरूरत थी लेकिन एमपीआरडीसी के अधिकारी ऐसा नहीं करते हुए सिर्फ झाड़ियों की छंटाई व रोड पर साइन बोर्ड लगाकर रह गए थे।

जरूरत थी स्थायी समाधान की, जिससे फिर किसी की जान न जाए। भास्कर ने तत्कालीन प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा से बात कर अंधे मोड़ को सीधा करने के लिए एक करोड़ की राशि स्वीकृत कराई। दो साल के प्रयास की बदौलत अब अंधा मोड़ खत्म होने के साथ ही 500 मीटर की सड़क भी चौड़ी हो गई।

एमपीआरडीसी प्रबंधक का तर्क था- तेजगति की वजह से हादसा हुआ, बोले- भास्कर की बदौलत संभव हुआ

एमपीआरडीसी के तत्कालीन संभागीय महाप्रबंधक अनिल कुमार श्रीवास्तव ने तब कहा था तकनीकी खामी नहीं है। 9 साल पहले ही सड़क निर्माण के समय मार्ग घुमावदार था, जिससे यह रास्ता निकाला। अंधा मोड़ वजह नहीं है, तेजगति की वजह से हादसे हो रहे हैं। वर्तमान में सागर में पदस्थ श्रीवास्तव ने कहा उस समय भास्कर ने रोड सीधा करने वाला डिजाइन छापा था, तब लगता नहीं था कि ये संभव हो पाएगा, लेकिन यह अथक प्रयास का ही परिणाम है।

जिंदगी बचाने की मुहिम, अन्य ब्लैक स्पॉट पर काम हो

हादसे के बाद मैंने शासन को दी रिपोर्ट में लिखा था कि अंधा मोड़ बहुत घातक है और इसे ठीक करना ही हल है। जिंदगी बचाने की बड़ी मुहिम के लिए भास्कर को दिल से साधुवाद है। यह इस बात का भी बड़ा उदाहरण है कि सरकार जब एक ब्लैक स्पॉट को इतनी प्राथमिकता से ले सकती है तो अन्य ब्लैक स्पॉट पर भी काम किया जाना चाहिए।

चंद्रशेखर सोलंकी, वर्तमान डीआईजी ग्रामीण, इंदौर

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