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सहकारिता विभाग का कारनामा:संस्था की 9.65 करोड़ की जमीन में फर्जीवाड़ा
विश्व युद्धों से लंबी जमीन की जंग…प्रदेशभर में भूमाफियाओं के खिलाफ चल रही मुहिम के बीच में उज्जैन में सहकारिता विभाग ने जमीन के उन सौदागरों को बचा लिया है, जिन्होंने कलेक्टर गाइड लाइन से कम में जमीन को खरीदा व बेचा। कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा करवाई गई जांच के प्रतिवेदन में जो लोग दोषी बताए गए, उनका नाम सहकारिता विभाग की ओर से एफआईआर के लिए माधवनगर थाना पुलिस को दिए आवेदन में नहीं है।
केवल संस्था के संचालक मंडल के 10 लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के लिए आवेदन किया है। पुलिस ने सहकारिता विभाग से संस्था का रिकार्ड तलब किया है। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि संस्था की जमीन पहले जिन लोगों ने बेची व जो संस्था के जिम्मेदार पदों पर थे, कोऑपरेटिव एक्ट में उनके खिलाफ ही पुलिस कार्रवाई करवाई जा सकती है।
हालांकि संस्था की जमीन की रजिस्ट्री को निरस्त करवाने के लिए जरूरी सहकारिता विभाग कोर्ट जाएगा। मामला नवीन नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था की जमीन का है, जहां पर वर्तमान में मैरिज गार्डन है। कलेक्टर आशीष सिंह ने संस्था की जमीन की खरीदी-बिक्री में हुई गड़बड़ी के मामले में सहकारिता विभाग की दो सदस्यीय टीम में जांच करवाई थी।
संस्था की 9.65 करोड़ की
जांच पूरी होने के बाद सहकारिता विभाग की ओर से जांच प्रतिवेदन कलेक्टर सिंह को प्रस्तुत किया गया। जिसमें उल्लेख किया गया कि सहकारी सोसायटी अधिनियम का उल्लंघन कर तथा पंजीयक भोपाल की अनुमति के बगैर 9 करोड़ 65 लाख में संस्था की जमीन को बेच दिया गया।
कलेक्टर गाइड लाइन से भी कम में जमीन को सौदा किया गया। जिससे संस्था को लाखों की आर्थिक हानि हुई। रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने दोषी लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के आदेश दिए थे। सहकारिता निरीक्षक संतोष सांकलिया की ओर से एफआईआर के लिए माधवनगर थाने में आवेदन दिया गया है। जिसमें पुलिस ने संस्था का रिकार्ड मांगा है।
छूट का लाभ तभी लिया जा सकता था जब भूखंड सदस्यों को आवंटित किए जाते
जांच में पाया गया कि ग्राम नानाखेड़ा स्थित भूमि सर्वे नंबर 80/5 मीन-2 रकबा 2.289 हेक्टेयर, सर्वे नंबर 81/2/2 रकबा 0.679 हेक्टेयर व सर्वे नंबर 81/3 मीन-1 रकबा 1.202 हेक्टेयर का विक्रय पत्र संस्था के पक्ष में पंजीकृत होकर राजस्व अभिलेख में संस्था के नाम भू-स्वामी के रूप में दर्ज किया। संस्था द्वारा उक्त जमीन नगर भूमि सीमा अधिनियम 1976 की धारा-20-1 के अंतर्गत नि:शुल्क पंजीयन एवं मुद्रांक का लाभ उठाते हुए क्रय की गई। जबकि इसमें शर्त थी कि छूट का लाभ तभी लिया जा सकेगा जब भूखंडों का आवंटन संस्था के सदस्यों को किया जाए।
संस्था द्वारा भूमि सर्वे नंबर 81/2/2 रकबा 0.470 हेक्टेयर तथा भूमि सर्वे नंबर 81/3 मीन-1 रकबा 0.504 हेक्टेयर कुल रकबा 0.974 स्थित नानाखेड़ा का विक्रय मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 72 डी/ध के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं की अनुमति के बिना एवं निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करते हुए राम निवास नारंग, एकता नारंग व लव नारंग को संयुक्त रूप से विक्रय किया गया। जिसके आधार पर नामांतरण राजस्व अभिलेख में दर्ज हुआ।
गाइड लाइन से कम दाम पर बेचा
संस्था द्वारा धारित भूमि सर्वे क्रमांक 80/5 मीन-2 रकबा 2.289 हेक्टेयर जमीन में से रकबा 1.000 हेक्टेयर जमीन काने अधिनियम की धारा 1960 की धारा के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं भोपाल की अनुमति के बगैर एवं निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करते हुए कुश नारंग, ईश नारंग व यश नारंग को विक्रय किया गया।
जमीन को राम निवास नारंग व उनके परिवार के सदस्यों ने 9.65 कराेड़ में विक्रय की गई। संस्था द्वारा जमीन को कलेक्टर गाइड लाइन से कम मूल्य पर भी बेचा गया। उक्त राशि को वित्तीय पत्रकों में नहीं दर्शा कर लाखों रुपए की संस्था को वित्तीय हानि पहुंचाई गई, जो कि गबन की श्रेणी में आता है। संस्था अध्यक्ष मोहम्मद हुसैन हेपतुल्ला द्वारा भूमि विक्रय की रजिस्ट्रियां की गई है। नोट-जैसा जांच में प्रतिवेदन में उल्लेखित
जांच में ये दोषी पाए गए
कलेक्टर सिंह के आदेश पर हुई जांच में रामनिवास नारंग, एकता नारंग, लव नारंग व कुश नारंग, ईश नारंग, यश नारंग व मोहम्मद हेपतुल्ला गबन के दोषी पाए थे। कुश नारंग, ईश नारंग व यश नारंग को पंजीकृत विक्रय पत्र 5323 के द्वारा विक्रय किया गया। जमीन को राम निवास नारंग व परिवार के सदस्यों ने 9.65 कराेड़ में विक्रय की गई। संस्था अध्यक्ष मोहम्मद हुसैन हेपतुल्ला द्वारा भूमि विक्रय की रजिस्ट्रियां की गई है।
और इन्हें बना दिया आरोपी
संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष मोहम्मद हुसैन, उपाध्यक्ष नवीन कुमार, संचालक हरदीप, बद्रीलाल, शारदा बाई, फरीदा बाई, हजारीलाल, दयाराम, भैरूलाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए सहकारिता विभाग की ओर से माधवनगर थाने में आवेदन किया गया है।
^बोर्ड द्वारा जमीन बेचने में गड़बड़ी की गई, इसके लिए संचालक मंडल दोषी है। कोऑपरेटिव एक्ट में उन्हीं लोगों पर पुलिस कार्रवाई के लिए आवेदन किया है। पुलिस ने संस्था का रिकार्ड मांगा है। संस्था की जमीन की जो रजिस्ट्री हुई, उसे निरस्त करने के लिए भी कोर्ट में प्रकरण लगाया जाएगा।
ओपी गुप्ता, उपायुक्त सहकारिता