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उज्जैन:कोर्ट से मकान हटाने के लिए जिला प्रशासन ने मांगा समय
मामला बेगमबाग से 165 मकान हटाने का…
उज्जैन। बेगमबाग में महाकाल वन अन्तर्गत स्मार्ट सिटी के तहत होनेवाले विकास कार्यो के लिए 165 मकानों की जमीन अधिग्रहित करने को लेकर जिला प्रशासन ने 15 मार्च की आखिरी तारीख रहवासियों को दी थी। वहीं न्यायालय में प्रशासन को 16 मार्च को जवाब देना था कि सारे मकान हटा दिए गए हैं? प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि आज प्रशासन द्वारा अपने ओआईसी के माध्यम से मकान हटाने के लिए ओर समय मांगा गया है? आज शाम तक स्थिति साफ हो जाएगी।
सरकारी जमीन पर बने बेगमबाग बस्ती के 165 मकानों को 15 मार्च तक हटाने की मुनादी पिछले दिनों एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने स्वय की थी। ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से की गई इस मुनादी के बाद प्रशासन और हटाए जानेवाले मकानों से संबंधित लोगों के बीच समन्वय बैठक लगातार चल रही थी। इस बैठक का नतीजा प्रशासन अपने पक्ष में मान रहा है। इस मामले के ओआईसी, एसडीएम है। उनके कार्यालय के सूत्रों का दावा है कि आज प्रशासन ने न्यायालय में आवेदन देकर मकान हटाने के लिए दी गई 16 मार्च की अवधि को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है। शाम तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि न्यायालय ने इसे स्वीकार किया है या नहीं? यदि स्वीकार किया जाता है तो कुछ दिन की मोहलत मकानों को हटवाने के लिए जिला प्रशासन को मिल जाएगी।
सूत्र बताते हैं कि दूसरा पक्ष भी कुछ समय चाहता है,ताकि यहां रहने वाले लोग स्वयं अपने हाथों से अपना सामान खाली करके, मकान खाली कर दें। ताकि प्रशासन की कार्रवाई से उनका आर्थिक नुकसान न हो। यही कारण है कि यहां रहन ेवाले कुछ परिवारों द्वारा पिछले तीन दिन से अपने घर का सामान शिफ्ट करने का काम प्रारंभ कर दिया गया है। हालांकि शहर में यह चर्चा जोरों पर है कि आखिर प्रशासन और रहवासियों के बीच ऐसी कौन सी समन्वय बैठक हुई, जिसके चलते प्रशासन न्यायालय से और समय चाह रहा है तथा मकान में रहनेवाले लोगों में से कुछ ने अपना सामान हटाना शुरू कर दिया है? यह जिज्ञासा इसलिए सामने आ रही है क्योंकि जब एडीएम ओर एएसपी ने मुनादी की तो कई लोगों ने सीधा विरोध किया था तथा मौके पर विवाद भी हुआ था।
समझा जाता है कि आने वाले दिनों में इस रहस्य से पर्दा उठेगा कि किस प्रकार से जिला प्रशासन ने मैनेजमेंट किया और सबकुछ बगैर किसी तोडफ़ोड़ अथवा पुलिस बल की उपस्थिति के हो गया? चर्चा है कि मकान छोडने के बदले मकान मालिकों को प्रशासन की ओर से कुछ आश्वासन मिले हैं। इस बारे में सभी अधिकारियों ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है।