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रेमडेसिविर की सबसे ज्यादा किल्लत:17 अस्पतालों में 700 से ज्यादा इंजेक्शन की जरूरत, उपलब्ध सिर्फ 98 और 20 उधारी में लिए
कोरोना संक्रमितों को लगाए जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की आठ दिन में बुधवार को सबसे ज्यादा किल्लत हुई। 17 अस्पतालों में भर्ती 700 से अधिक मरीजों के लिए इंजेक्शन की जरूरत थी लेकिन उपलब्धता केवल 98 की ही रही।
ऐसे में 20 इंजेक्शन एक निजी हॉस्पिटल के स्टॉक से उधारी में लेना पड़े। बावजूद जरूरत पूरी नहीं हुई। रात तक ड्रग इंस्पेक्टर व प्रशासनिक अधिकारी इंजेक्शन आपूर्ति के प्रयास करते रहे लेकिन व्यवस्था नहीं हो पाई। दूसरी तरफ इन हालातों में मरीजों के परिजन भी इंजेक्शन के लिए यहां-वहां और अन्य शहरों तक संपर्क बनाए हुए थे लेकिन उन्हें भी मायूसी हाथ लगी।
रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने व जरूरतमंदों को इंजेक्शन उपलब्ध होते रहें, इसकी जवाबदारी कलेक्टर आशीष सिंह ने ड्रग इंस्पेक्टर धर्मसिंह कुशवाह को सौंपी है। कुशवाह रोज अस्पतालों से उन मरीजों की सूची लेते हैं जिन्हें इंजेक्शन लगना है। इस डिमांड के आधार पर संबंधितों को इंजेक्शन दिए जाते हैं।
मंगलवार को 17 अस्पतालों में भर्ती जिले के करीब 550 मरीजों के लिए इंजेक्शन की डिमांड आई थी। लेकिन इनमें से 350 को ही इंजेक्शन दिए जा सके थे क्योंकि शॉर्टेज था। उम्मीद की जा रही थी कि इंजेक्शन का इतना शॉर्टेज बुधवार को नहीं रहेगा। लेकिन हुआ उल्टा।
इस दिन इंजेक्शन के जरूरतमंद मरीजों की संख्या बढ़कर 700 से अधिक हो गई, वहीं इंजेक्शन की उपलब्धता केवल 98 ही रही। ऐसे में ड्रग इंस्पेक्टर कुशवाह को संजीवनी हॉस्पिटल के स्टॉक में रखे 20 इंजेक्शन उनसे उधार में लेने पड़े। तब दिनभर में कुल 118 इंजेक्शन का इंतजाम हो पाया। इधर इंजेक्शन की बहुत ज्यादा शॉर्टेज की जानकारी जब मरीजों के परिजनों को लगी तो वे भी दिनभर अपने स्तर पर प्रयास करते रहे।
प्राथमिकता चरक व माधवनगर
चरक, माधवनगर और देवास के अमलतास अस्पताल में वे मरीजों भर्ती हाे रहे हैं, जो स्वयं अपने खर्च पर इलाज करवाने में सक्षम नहीं हैं। इन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया करवाने की चुनौती अधिकारियों की बनी रहती है। लेकिन इंजेक्शन की किल्लत से संबंधितों को जवाब देने में बड़ी मुश्किल आ रही है।
आपूर्ति करना बड़ी चुनौती
आठ दिन में बुधवार को रेमडेसिविर की सबसे ज्यादा किल्लत हुई। 700 की जरूरत के एवज में केवल 98 इंजेक्शन ही मिल पाए। ऐसे में 20 इंजेक्शन संजीवनी से उधार लेना पड़े। चुनौती यह है कि आपूर्ति कैसे करेंगे। -धर्मसिंह कुशवाह, ड्रग इंस्पेक्टर