कोरोना के साथ अब नई मुसीबत:उज्जैन में 3 मरीज, आंखों और नाक में इन्फेक्शन, 1 की मौत भी हो गई

कोरोना के साथ अब नई मुसीबत खड़ी हो गई है- ब्लैक फंंगस (म्यूकर माइकोसिस)। भोपाल, इंदौर के बाद अब उज्जैन में भी इसके मामले सामने आने लगे हैं। महाकाल मार्ग, खत्रीवाडा व ढांचा भवन के तीन मरीज ऐसे पाए गए हैं, जो कि कोविड संक्रमित होने के बाद स्वस्थ्य हो गए थे। उनकी रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई थी, उसके बाद उन्हें फंगल संक्रमण हुआ है। उन्हें सर्दी, आंख और हैडेक की शिकायत पाई गई है। उज्जैन में ब्लैक फंगस के तीनों मरीजों को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया है। इनमें दो महिला व एक पुरुष हैं। एक मरीज को शुगर व दूसरे को किडनी की शिकायत थी, जबकि तीसरा मरीज नार्मल ही था फिर भी उसे फंगल इन्फेक्शन हो गया है।

उनकी सीटी स्कैन व एमआरआई करवाई गई है। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिक पर भी ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं। फ्रीगंज के एक प्राइवेट अस्पताल में एक मरीज की मौत भी हुई है। उसे नाक में फंगल इन्फेक्शन हुआ था। इसी से वह बेसुध हुआ और मौत हो गई। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की।

तीनों मरीजों का इलाज आरडी गार्डी में शुरू करवाया

कोविड से स्वस्थ्य हुए मरीजों में फंगल इंफेक्शन पाया गया है। ऐसे तीन मरीज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किए गए हैं। जिनकी जांच करवा कर इलाज शुरू किया है। प्राइवेट अस्पतालों में भी इस तरह के मरीज सामने आ रहे हैं।

डॉ. सुधाकर वैद्य, ईएनटी स्पेशलिस्ट, मेडिकल कॉलेज

इंदौर और भोपाल के साथ ही शाजापुर में भी मिले ब्लैक फंगस के केस

निगेटिव हुए, फिर आखें लाल हो गईं और अब रोशनी गई

शहर में कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद आंखों का संक्रमण फैल रहा है, जिससे सावधान होने की जरूरत है क्योंकि सुर्ख लाल आंखें लेकर शहर में क्षेत्रवासी घूम रहे हैं। वर्तमान में कोविड-19 पॉजिटिव मरीज को भी निगेटिव होने के बाद लकवा और आंखों की रोशनी जाने की प्रॉब्लम हो रही है, जिसमें जिला अस्पताल में ऐसे ही 3 मरीज देखने को मिले हैं।

जो वायरस से पीड़ित है और ठीक हो गए, परंतु उन्होंने 100 परसेंट या 50 प्रतिशत अपने आंखों की रोशनी खो दी या चेहरे के लकवे से ग्रस्त हो गए हैं। शहर के साथ-साथ प्रदेश और देश में भी यह समस्या देखने को मिलने लगी है जो वर्तमान में बिल्कुल ताजा मामला है।

पिछले महीने में ऐसे 2 मामले देखने को मिले थे। यहां कोरोना वायरस इलाज के साइड इफेक्ट भी हैं, जो इन मरीजों में स्टेरॉयड इंजेक्शन लेने पर हुआ है। यह बीमारी अगर फैलती है तो संक्रमण काल में प्रशासन और शासन के लिए बेहद मुसीबत होगी।

यह है वायरस के साइड इफेक्ट

जिला अस्पताल में संक्रमण के बाद पॉजिटिव मरीजों में यह लक्षण भी देखने को मिले हैं, जिसे कोरोना का साइड इफेक्ट कहा जा सकता है। इसमें आधा शरीर लकवा या आधे चेहरे पर लकवा, आंखों का लाल होना या दिखाई देना बंद हो जाना, खून की उल्टी, नाक से खून बहना साथ ही ब्रेन हेमरेज का शिकार मरीज हो रहे हैं। शुगर लेवल अचानक बढ़ना और तेज गति से दिल का धड़कना के अलावा खून की नसें डैमेज हो रही है, जो कहीं से भी फट जाती है।

इन्होंने खोई आंखों की रोशनी

20 अप्रैल को वायरस से पीड़ित झोकर के लोकेंद्र राठौर जिला अस्पताल में भर्ती हुए थे, जो ट्रीटमेंट के बाद निगेटिव हो गए परंतु चेहरे पर लकवा और एक आंख की रोशनी खो चुके हैं। उनकी आंखों में कोई मूवमेंट भी नहीं हो रहा है। लोकेंद्र बताते हैं उनको एक आंख से दिखना बंद हो चुका है, साथ ही लकवे के कारण वह बोल भी नहीं पा रहे हैं।

इसी प्रकार मोड सिंह राजपूत अब स्वस्थ हो गए हैं परंतु उनको भी एक आंख में परेशानी देखने को मिल रही है। धीरे-धीरे वह भी आंखों की रोशनी खो रहे हैं। हालांकि दोनों मरीजों का अभी वर्तमान में जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। वहीं तीसरे मरीज मोहन देवी सिंह भी पॉजिटिव होने के बाद आंखों की रोशनी गंवाने से बच नहीं सके।

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