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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के उपयोग से बड़ी कंपनियों में दक्षता और तेजी से काम करेगी मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली
आपदा के बीच भी अवसरों के द्वार खुले हैं। कोरोना के कारण स्कूल, कॉलेज, अध्ययनशालाएं बंद हैं। इसी बीच विक्रम विश्वविद्यालय ने तीसरा पेटेंट कर दिखाया है। इसके पहले दो अन्य पेटेंट हो चुके हैं, जिनका प्रकाश इंडियन पेटेंट जर्नल में हुआ है। इसे नैक के लिए भी अहम माना जा रहा है।
विक्रम विवि के एमओयू प्रकोष्ठ और कंप्यूटर विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह के निर्देशन में सहयोगी संस्थानों के शिक्षकों और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की अतिथि शिक्षक इंजीनियर कंचन धुल ने मानव संस्थान प्रमाण परियोजना पर किया है।
आउटपुट बेस्ड परियोजना, तीव्र सेवाएं देगी
आउटपुट बेस्ड इस परियोजना के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एक मॉडल को प्रस्तुत किया है। मॉडल पर आधारित प्रणाली से बड़े संस्थानों के मानव संसाधन संबंधित कार्यों के निष्पादन में आसानी होगी। विक्रम विवि एवं सहयोगी संस्थानों के मॉडल का इंडियन पेटेंट जर्नल में प्रकाशन हुआ है।
प्रस्तावित अवधारणा पर विकसित तंत्र, वर्तमान में प्रचलित तंत्र से प्रभावी होगा। वर्तमान में प्रचलित मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली में मुख्यत: डेटाबेस प्रणाली और ह्यूमन इंटरवेंशन पर आधारित होने के कारण जानकारी और सेवाएं तीव्र गति से प्रदान नहीं कर पाने की बाध्यता रहती है। प्रस्तावित मॉडल से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के उपयोग के कारण प्रबंधन प्रणाली अधिक दक्षता और तीव्रता के साथ कार्य करने में सक्षम होगी।
शोध को बढ़ावा देने 10 प्रकोष्ठों का गठन
कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांड्ेय ने कहा विवि ने एमओयू की दिशा में कई काम किए हैं। शोध परियोजना के तहत कंप्यूटर विज्ञान संस्थान में 10 प्रकोष्ठों का गठन किया है। विश्वविद्यालय व सहयोगी संस्थानों का आउटपुट बेस्ड परियोजना पर आधारित पेटेंट का प्रकाशन हुआ है।
भूमंडलीकरण के इस युग में शैक्षणिक संस्थानों के बीच आपसी सहयोग और समन्वय करते हुए अनेक अकादमिक सेवाओं का आदान-प्रदान किया जाना जरूरी हो गया है। विवि अनुदान आयोग और प्रदेश सरकार ने भी एमओयू पर जोर दिया है। एमओयू संस्थानों के बीच द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौते का वर्णन करने वाला एक दस्तावेज होता है। यह संस्थानों के बीच आदान-प्रदान किए जाने वाली परियोजनाओं, सेवाओं का एक अभिसरण व्यक्त करता है।
यह दो पेटेंट हो चुके प्रकाशित
1 जीरो डे अटैक नेटवर्क की सुरक्षा पर विक्रम विवि को पहला पेटेंट मिला था। इसमें हैक होने से पहले खुद को सुरक्षित करने की तकनीक सुझाई गई थी।
2 व्हीकल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत वाहन के पार्ट्स खुद बताएंगे कब खराब होंगे, कंट्रोल पैनल के साथ मोबाइल पर आएगा मैसेज, विषय पर दूसरा पेटेंट प्रकाशित हुआ था।