UJJAIN की दो बेटियां Ukraine से घर लौटी…

उज्जैन। बीती रात उज्जैन की दो बेटियां यूक्रेन से आने घर लौटी। यूक्रेन से दिल्ली का सफर उन्हें भारत सरकार ने विमान से करवाया वहीं दिल्ली से इंदौर के सफर मध्यप्रदेश सरकार ने करवाया। इंदौर से परिजन उन्हें लेकर उज्जैन आये।

आज सुबह यह प्रतिनिधि मेघा त्रिवेदी के घर गया तो माता-पिता से भेंट हुई।मेघा गहरी नींद में सोई हुई थी। पिता मुकेश त्रिवेदी ने बताया कि आज मेघा वैसे ही सो रही है,जैसे बचपन में सोती थी एक नींद लेकर।

न कोई चिंता, न कोई फिक्र। केवल सुकून की नींद। मेघा का सिर सहलाते हुवे मुकेश बोले-सालो बाद पहली रात ऐसी रही,जब हम पति-पत्नी रातभर मेघा के पास बैठकर जागते रहे और उसे निहारते रहे।एक पखवाड़े से हम चिंता में डूबे रहे।कई प्रकार के विचार मन में आते थे,जिसमे बुरे विचार भी शामिल हैं।मेघा की दादी दिनभर में 8 से 10 बार चक्कर खाकर गिर जाती थी।जब इंदौर एयरपोर्ट पर मेघा हमारे पास आई तो ऐसा लगा मानों पिछले जन्म के बिछड़े मिले हों। शेष पेज-5 पर

मुकेश त्रिवेदी ने चर्चा में बताया कि इन्दौर से उज्जैन तक के सफर में मेघा ने यात्रा की बातें साझा की। उसने बताया कि रोमानिया से दिल्ली तक का सफर भारत सरकार ने करवाया।

इस सफर में मध्यप्रदेश के 10 विद्यार्थी शामिल थे।इनमें उज्जैन की दो बेटियां मेघा और रियांशी गुप्ता है।दिल्ली एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद नाश्ता करवाया गया।वहां से मध्यप्रदेश के अधिकारी मध्यप्रदेश भवन ले गए। वहां खाना खाने के बाद सो गए। कल रात्रि में हमें मध्यप्रदेश सरकार की ओर से फ्लाइट द्वारा इंदौर रवाना किया गया। इंदौर तक का किराया मध्यप्रदेश सरकार ने दिया।

धन्यवाद ‘अक्षरविश्व’

चर्चा में मुकेश त्रिवेदी ने अक्षरविश्व को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि वे सालों से अक्षरविश्व के पाठक है।इस मुश्किल दौर में रिश्तेदारों के अलावा केवल अक्षरविश्व ने ही हमारा ध्यान रखा।समय-समय पर पूछताछ की।हमारे घर न प्रशासन आता और न ही कोई जनप्रतिनिधि। किसी ने फोन तक नहीं लगाया।हमारी आवाज सरकार में भोपाल से दिल्ली तक केवल अक्षरविश्व ने पहुचाई।हमारी समस्या प्रमुखता से उठाई।इस पहल ने हमें हिम्मत देने का काम किया।

 

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