विक्रम विवि की वाणिज्य अध्ययनशाला की राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रारंभ

आमंत्रितों को नहीं पता… संगोष्ष्ठी के विषय और वक्ताओं के नाम…

ढाई लाख रूपए होंगे खर्च, 150 पंजीयन की आशा

उज्जैन। विक्रम विवि में बगैर सोचे समझे किस प्रकार से आयोजन होते हैं तथा उसके आमंत्रण पत्र मुद्रित किए जाते हैं, इसका ताजा उदाहरण शुक्रवार को देखने में आया। विवि की वाणिज्य अध्ययनशाला ने एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की है, जिसका शुभारंभ भी आज प्रात: 10 बजे हो गया। समापन 26 मार्च को है। हालात यह रहे कि इस संगोष्ठी में जिन्हे आमंत्रित किया गया, उन्हें तो ठीक आमंत्रित करने वाले कुलसचिव को भी ही नहीं पता था कि उक्त राष्ट्रीय संगोष्ठी के विषय क्या है तथा वक्ता कौन होंगे?

इस संबंध में जब कुलसचिव डॉ.पुराणिक से चर्चा की गई कि वितरित किए गए आमंत्रण पत्र में न तो विषय दिया गया है और न ही वक्ता का नाम? उन्होने कहा कि मेरा नाम विनित में जरूर प्रकाशित हुआ है, लेकिन मैने आमंत्रण कार्ड देखा नहीं है, देखकर ही बता पाऊंगा। हालांकि बाद में उनका कोई जवाब नहीं आया।

वाणिज्य अध्ययनशाला के प्रमुख ओर आयोजन समिति के सचिव डॉ.सत्येंद्र किशोर मिश्र से जब यह पूछा गया कि संगोष्ठी के विषय और वक्ता कौन हैं? अतिथि किस विषय पर चर्चा करने वाले हैं? उन्होंने कहा कि अतिथि की हो इच्छा होगी वे बोलेंगे। संगोष्ठी के विषय हमने उन्हे भेजे हैं, जो पंजीयन करवाकर शामिल होंगे? इस प्रश्न पर कि संगोष्ठी में कौन शामिल हो रहे हैं? उन्होंने जवाब दिया कि देशभर के विवि में आमंत्रण भेजा है। वहां से आने वाले शिक्षकों को पता है कि विषय कौन से हैं? प्रति पंजीकृत शिक्षक को 1000 रूपए जमा करवाना होंगे। रूकने, खाने की व्यवस्था करेंगे। करीब ढाई लाख रूपए व्यय होंगे, जिसकी पूर्ति पंजीकृत लोगों की राशि से होगी। कम पंजीयन हुए तो विवि खर्च करेगा। गौरतलब बात यह है कि शुभारंभ में भी स्पष्ट नहीं हो सका कि आखिर संगोष्ष्ठी किन विषयों पर आयोजित हो रही है।

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