महिदपुर तहसील कार्यालय में रिश्वतखोरी का भंडाफोड़: लोकायुक्त ने रीडर दीपा चेलानी को रंगे हाथों दबोचा, पट्टे की जमीन के लिए रिश्वत मांग रही थी रीडर

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन के महिदपुर तहसील कार्यालय में बुधवार को भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया, जब लोकायुक्त की टीम ने तहसील कार्यालय की रीडर दीपा चेलानी को 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। सरकारी कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ यह एक बड़ी कार्रवाई थी, जिसमें लोकायुक्त ने पूरी योजना के तहत आरोपी को पकड़ने का जाल बिछाया।
कैसे हुआ भ्रष्टाचार का पर्दाफाश?
खेड़ा खजूरिया गांव के किसान हाकम चौहान अपनी पट्टे की जमीन के दस्तावेजों में हुई नाम की गलती सुधारना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने महिदपुर तहसील कार्यालय में आवेदन दिया, लेकिन यहां तैनात रीडर दीपा चेलानी ने मदद करने के बदले 10 हजार रुपए की रिश्वत की मांग रख दी। किसान हाकम चौहान यह सुनकर सन्न रह गए। एक गरीब किसान के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अन्याय सहने की बजाय लड़ने का फैसला किया और 6 मार्च को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक से शिकायत कर दी।
रिश्वत लेते ही धर दबोचा
शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त डीएसपी दिनेश चंद्र पटेल की टीम ने एक सटीक ट्रैप प्लान तैयार किया। किसान हाकम चौहान को 5 हजार रुपए के नोट दिए गए, जिन पर विशेष कैमिकल लगाया गया था। इसके बाद उन्हें रिश्वत देने के लिए दीपा चेलानी के पास भेजा गया।
तहसील कार्यालय के अंदर जैसे ही हाकम चौहान ने दीपा चेलानी को रिश्वत की रकम सौंपी, वैसे ही उन्होंने अपने सिर पर हाथ रख दिया – यह लोकायुक्त टीम के लिए तय इशारा था! इशारा मिलते ही पहले से सतर्क लोकायुक्त टीम ने फौरन तहसील कार्यालय में घुसकर रीडर दीपा चेलानी को रंगे हाथ पकड़ लिया।
लोकायुक्त डीएसपी पटेल ने बताया कि रिश्वतखोरी के खिलाफ यह एक बड़ी सफलता है। जैसे ही आरोपी के हाथ धुलवाए गए, कैमिकल की पहचान करने वाली खास तकनीक से उसके हाथों पर निशान स्पष्ट हो गए, जिससे यह पक्का हो गया कि उसने रिश्वत की रकम छुई थी। इसके बाद दीपा चेलानी को तुरंत हिरासत में ले लिया गया और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया। इस कार्रवाई को अंजाम देने में निरीक्षक हिना डावर, प्रधान आरक्षक हितेश ललावत, आरक्षक मोहम्मद इसरार, आरक्षक संदीप कदम, आरक्षक नीता बेस, आरक्षक ऋतु मालवीय और कंप्यूटर टाइपिस्ट अंजलि पुरानिया की अहम भूमिका रही।