डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती पर ‘जय भीम’ के नारों से गूंजा टॉवर चौक, विभिन्न संगठनों ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर अर्पित की पुष्पांजलि; सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रैलियों के जरिए दी गई श्रद्धांजलि

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन शहर में संविधान निर्माता, समाज सुधारक और भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती बड़े ही उत्साह, श्रद्धा और सामाजिक समरसता के भाव से मनाई गई। सोमवार सुबह से ही टॉवर चौक पर माहौल पूरी तरह भीमरमय हो गया। यहां डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। अजाक्स संगठन, अंबेडकर विद्यार्थी संगठन और बौद्ध महासभा के सदस्य सुबह से ही भारी संख्या में एकत्र होकर ‘जय भीम’ और ‘डॉ. अंबेडकर अमर रहें’ के नारों से पूरे वातावरण को गूंजायमान कर रहे थे।

कार्यक्रम की शुरुआत शहर के अलग-अलग हिस्सों से निकाली गई भव्य शोभायात्राओं से हुई। रंग-बिरंगे झांकियों में डॉ. अंबेडकर के जीवन संघर्ष, शिक्षा के प्रति उनका समर्पण और संविधान निर्माण में उनकी भूमिका को खूबसूरती से दर्शाया गया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई डॉ. अंबेडकर की विचारधारा से जुड़ाव दर्शाते हुए उत्साहपूर्वक रैली में शामिल हुआ।

टॉवर चौक पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में अजाक्स संगठन द्वारा विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। इन कार्यक्रमों के जरिए अंबेडकर के विचारों, समानता और शिक्षा के अधिकार पर आधारित संदेशों का प्रचार-प्रसार किया गया। गीत, नाटक, भाषण और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवाओं ने बाबा साहब के आदर्शों को जीवंत किया।

राजनीतिक दलों के नेता भी इस ऐतिहासिक अवसर पर पीछे नहीं रहे। कांग्रेस और भाजपा के प्रतिनिधियों ने बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके योगदान को स्मरण किया। नेताओं ने कहा कि डॉ. अंबेडकर न केवल दलितों के मसीहा थे, बल्कि वे समस्त भारत के लिए समानता, न्याय और बंधुता का प्रतीक हैं।

बौद्ध महासभा के सदस्यों ने बौद्ध धम्म का पाठ किया और डॉ. अंबेडकर द्वारा धर्म परिवर्तन के निर्णय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को भी लोगों के समक्ष रखा। अंबेडकर विद्यार्थी संगठन ने इस मौके पर विद्यार्थियों को उनके द्वारा लिखित ग्रंथों को पढ़ने और समझने के लिए प्रेरित किया।

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