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महाकालेश्वर की सवारी के लिए हाई अलर्ट: ड्रोन, CCTV और सादी वर्दी में निगरानी शुरू, पहली बार वैदिक उद्घोष की थीम पर निकलेगी महाकाल की सवारी!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
11 जुलाई से शुरू हो रहे पवित्र श्रावण मास में इस बार चार सोमवार आएंगे और महाकाल की नगरी उज्जैन में लाखों श्रद्धालु भगवान श्री महाकालेश्वर के दिव्य दर्शन के लिए उमड़ेंगे। यह मास 9 अगस्त तक चलेगा और अनुमान है कि करीब 80 लाख से अधिक श्रद्धालु इस दौरान बाबा महाकाल के दर्शन करेंगे। श्रावण-भादो माह में भगवान महाकालेश्वर की निकलने वाली परंपरागत सवारी इस बार पहले से अधिक भव्य, दिव्य और सुरक्षित रूप में आयोजित होगी।
महाकालेश्वर की प्रथम सवारी 14 जुलाई, द्वितीय 21 जुलाई, तृतीय 28 जुलाई, चतुर्थ 4 अगस्त, पंचम सवारी 11 अगस्त और राजसी सवारी 18 अगस्त को निकाली जाएगी। इस वर्ष सवारी को लेकर प्रशासन ने खास तैयारियां की हैं। श्रावण मास की पहली सवारी ‘वैदिक उद्घोष’ की थीम पर आधारित होगी। साथ ही हर शाम सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर के प्रसिद्ध कलाकारों की प्रस्तुतियां महाकाल की महिमा को और बढ़ाएंगी।
उज्जैन पुलिस ने महाकाल सवारी मार्ग की सुरक्षा को लेकर थ्री लेयर सिक्योरिटी सिस्टम तैयार किया है। 1300 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। इनमें वर्दीधारी और सादी वेशभूषा में अधिकारी शामिल होंगे। तीन ड्रोन कैमरे चप्पे-चप्पे की निगरानी करेंगे। सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई गई है और सवारी मार्ग पर स्थित सभी ऊँची इमारतों की छतों की जांच की जा रही है।
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए 15 दिन पहले ही पुलिस ने अभियान शुरू कर दिया है। बदमाशों को बांड ओवर भरवाया जा रहा है और सवारी मार्ग पर आने वाले प्रत्येक मार्ग की सतर्क निगरानी की जा रही है ताकि कोई भी अप्रिय घटना न हो। श्रद्धालुओं को सुरक्षित, सुविधाजनक और दिव्य अनुभव मिले, इसके लिए हर स्तर पर तैयारियां की जा चुकी हैं।
महाकाल की सवारी में भगवान अलग-अलग दिव्य रूपों में दर्शन देंगे। प्रथम सवारी में पालकी में श्री मनमहेश, द्वितीय में पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर श्री मनमहेश, तृतीय सवारी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव, चतुर्थ सवारी में इसके साथ नंदी रथ पर श्री उमा महेश, पंचम सवारी में श्री होलकर स्टेट के रथ पर विराजित होंगे, जबकि अंतिम और सबसे भव्य राजसी सवारी में भगवान सप्तधान मुखारविंद के रूप में दर्शन देंगे।