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ओपीडी में चेकअप से पहले ही आया हार्ट अटैक, डॉक्टरों ने 12 शॉक और 40 मिनट CPR देकर बचाई जान; 40 मिनट की मशक्कत के बाद लौटी धड़कनें!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन के पास नागदा से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने अस्पताल में मौजूद मरीजों और स्टाफ को हिला कर रख दिया। मंगलवार दोपहर एक युवक को ओपीडी में डॉक्टर से चेकअप कराना महज एक औपचारिकता लग रही थी, लेकिन अगले ही पल जो हुआ, वह बेहद चौंकाने वाला था। ग्राम रूपेटा निवासी 30 वर्षीय सन्नी गेहलोत अस्पताल की कुर्सी पर बैठे थे, तभी अचानक वह बेजान होकर नीचे गिर पड़े। उन्हें हार्ट अटैक आया था — वो भी डॉक्टर के सामने, इलाज शुरू होने से ठीक पहले।
डॉक्टर की तत्परता ने बचाई जान
घटना चौधरी अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर की है। डॉक्टर ओपीडी में अन्य मरीजों को देख रहे थे, तभी सन्नी ने सीने में तेज दर्द की शिकायत की। डॉक्टर कुछ समझ पाते, उससे पहले ही सन्नी की सांसें रुक गईं और उनकी नब्ज थम गई। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए डॉक्टरों ने बिना वक्त गंवाए CPR (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देना शुरू किया।
सीसीटीवी में कैद हुआ ‘मौत से लड़ाई’ का दृश्य
अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे में यह पूरा घटनाक्रम कैद हो गया — कैसे डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ एक-एक पल के लिए मौत से जूझते रहे। ओपीडी से उन्हें तत्काल ICU ले जाया गया, जहां डॉक्टर सुनील चौधरी और उनकी टीम ने सन्नी को वापस जीवन देने की 40 मिनट तक भरपूर कोशिश की।
12 बार इलेक्ट्रिक शॉक, दर्जनों बार CPR – फिर लौटी जिंदगी
डॉ. सुनील चौधरी ने बताया कि युवक की पल्स और बीपी दोनों पूरी तरह गायब हो चुके थे। उन्हें स्थिति स्पष्ट हो गई कि अब बिना इलेक्ट्रिक डीफिब्रिलेशन (DC shock) के उसे वापस नहीं लाया जा सकता। इसके बाद लगातार 12 बार इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया, दर्जनों बार CPR दिया गया। अस्पताल स्टाफ ने एक टीम की तरह युवक की जान के लिए संघर्ष किया — और करीब आधे घंटे बाद, उसकी धड़कनें फिर से चलने लगीं।
सन्नी को प्राथमिक रूप से स्थिर कर लिया गया है और अब उन्हें बेहतर इलाज के लिए इंदौर रेफर कर दिया गया है। फिलहाल ICU में उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों का कहना है कि युवक के जीवित बचने की संभावना बेहद कम थी, लेकिन समय पर CPR और इलेक्ट्रिक शॉक ने उसे फिर से जीवन की डोर से जोड़ दिया।