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रेलवे ने बदला ‘मानसिक विकृति’ शब्द, अब टिकट पर लिखा जाएगा ‘बौद्धिक दिव्यांग’; उज्जैन के पंकज मारु ने बेटी के लिए लड़ी लड़ाई!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
भारतीय रेलवे ने एक ऐतिहासिक और संवेदनशील फैसला लेते हुए अब ‘मानसिक विकृति’ जैसे अपमानजनक शब्द को हटाकर ‘बौद्धिक दिव्यांग’ शब्द के इस्तेमाल का निर्णय लिया है। यह फैसला 1 जून 2025 से लागू कर दिया गया है और इसका फायदा देशभर के करीब 7 करोड़ दिव्यांगजनों को मिलेगा। लेकिन इस बदलाव के पीछे है उज्जैन के रहने वाले डॉ. पंकज मारु की बेटी सोनू और उनकी एक साल लंबी कानूनी और सामाजिक लड़ाई।
बेटी के लिए लड़े पिता, मिली पूरे देश को गरिमा
पंकज मारु की 26 वर्षीय बेटी सोनू 65% बौद्धिक दिव्यांग हैं। साल 2019 में जब उन्होंने बेटी के लिए रेलवे से रियायती पास बनवाया, तो उस पर “मानसिक विकृति” शब्द लिखा देखा। एक डॉक्टर और एक संवेदनशील पिता के रूप में उन्हें यह शब्द बेहद आपत्तिजनक और अपमानजनक लगा।
उन्होंने पहले पश्चिम रेलवे, रेलवे बोर्ड और डीआरएम से पत्राचार किया। लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं आया। आखिरकार उन्होंने राष्ट्रीय मुख्य दिव्यांगजन आयुक्त कोर्ट (Chief Commissioner for Persons with Disabilities, Delhi) में याचिका दायर की। और खुद इस मामले की पैरवी की।
कोर्ट को बताया – यह है एट्रोसिटी एक्ट का उल्लंघन
मारु ने अपनी याचिका में स्पष्ट किया कि “दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016” की धारा 92(a) के तहत यदि किसी दिव्यांग व्यक्ति का सार्वजनिक रूप से अपमान किया जाता है, तो वह एट्रोसिटी का अपराध बनता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि “मानसिक विकृति” शब्द न केवल वैज्ञानिक रूप से गलत है, बल्कि यह दिव्यांगजनों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है।
उन्होंने कोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का भी हवाला दिया और कहा कि इस तरह की भाषा संवैधानिक मूल्यों और मानवीय गरिमा के खिलाफ है।
कोर्ट ने रेलवे को दिया था एक महीने में शब्द बदलने का आदेश
करीब एक साल तक चले इस केस में आखिरकार 17 जुलाई 2025 को कोर्ट ने रेलवे को निर्देश दिए कि ‘मानसिक विकृति’ जैसे असंवेदनशील शब्दों को हटाया जाए और ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाए जो सम्मानजनक हो। कोर्ट ने कहा कि ऐसे शब्द “दिव्यांगजनों की गरिमा से खिलवाड़” करते हैं।
इसके बाद रेलवे ने 9 मई को सर्कुलर जारी करते हुए स्पष्ट किया कि अब से रियायती पास और प्रमाणपत्रों पर ‘Intellectual Disability’ (बौद्धिक दिव्यांगता) शब्द का उपयोग किया जाएगा। रेलवे ने इसके लिए एक नया प्रोफॉर्मा भी जारी किया है, जो 1 जून से प्रभाव में आ चुका है।