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उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड हाईवे पर किसानों का विरोध तेज: भोपाल में बीजेपी दफ्तर तक पहुंचे ग्रामीण, “किसान एकता जिंदाबाद”, “एमपीआरडीसी मुर्दाबाद” के लगाए नारे!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड हाईवे प्रोजेक्ट को लेकर किसानों की नाराज़गी लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार को करीब 50 किसानों का जत्था सीधे भोपाल स्थित बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचा और अपनी समस्याएँ पार्टी नेतृत्व के सामने रखने की कोशिश की। हालांकि, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष से उनकी मुलाकात संभव नहीं हो सकी, जिससे नाराज किसानों ने वहीं नारेबाजी शुरू कर दी।
बीजेपी दफ्तर में गूंजे नारे
किसानों ने प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को अपनी शिकायतें बताईं, लेकिन मुलाकात से असंतुष्ट होकर उन्होंने दफ्तर के भीतर ही “किसान एकता जिंदाबाद” और “एमपीआरडीसी मुर्दाबाद” के नारे लगाए। इस पर प्रदेश पदाधिकारियों ने आपत्ति जताई और किसानों से संयम रखने की अपील की।
किसानों की मुख्य आपत्तियां
गांवों से आए किसानों ने साफ किया कि वे सड़क निर्माण के विरोध में नहीं हैं, लेकिन प्रोजेक्ट की तकनीकी संरचना और मुआवजे को लेकर गंभीर आपत्तियां हैं।
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16 फीट ऊंचाई पर एक्सप्रेसवे निर्माण: किसानों का कहना है कि सड़क ऊंचाई पर बनने से खेतों की प्राकृतिक संरचना और सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होगी। इससे आजीविका पर भी असर पड़ेगा। उनकी मांग है कि इसे जमीन के समतल स्तर पर बनाया जाए।
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मुआवजे का मुद्दा: प्रभावित किसानों का आरोप है कि जमीन अधिग्रहण के बदले उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया। उनका कहना है कि जब यह हाईवे दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर जैसी तर्ज पर बनाया जा रहा है, तो मुआवजा भी उसी अनुपात में दिया जाना चाहिए।
62 गांव प्रभावित, बड़ा आंदोलन संभव
जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से करीब 62 गांवों के किसान प्रभावित हो रहे हैं। उज्जैन जिले के किसान नेता मुकेश धानक और जितेंद्र पाटीदार ने कहा कि वे पहले ही सांसद, विधायक, कलेक्टर और एमपीआरडीसी तक अपनी बात रख चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं मिला। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
सीएम से भी नहीं हो पाई मुलाकात
किसानों का कहना है कि वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलने की उम्मीद लेकर भोपाल आए थे। चूंकि सीएम स्वयं उज्जैन जिले से हैं, इसलिए किसानों को भरोसा था कि उनकी बातें सुनी जाएंगी। लेकिन उन्हें अब तक मुख्यमंत्री से मिलने का समय नहीं मिल पाया। इससे ग्रामीणों में गहरी निराशा है।
इसी बीच बी.एल. संतोष ने भोपाल प्रवास के दौरान कई मंत्रियों, विधायकों और संगठन पदाधिकारियों से फीडबैक लिया। वहीं, किसान संघ और आरएसएस से भी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक सिंहस्थ क्षेत्र की जमीनों के स्थायी अधिग्रहण का मुद्दा भी इसमें उठाया गया। किसानों का कहना है कि वे केवल हाईवे का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि अपने जीवन-यापन और कृषि पर मंडरा रहे संकट को लेकर चिंतित हैं।
आगे की रणनीति
किसानों ने साफ संकेत दिया है कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो वे आने वाले दिनों में भोपाल और उज्जैन दोनों जगह धरना-प्रदर्शन की राह पकड़ सकते हैं।