डायलिसिस यूनिट शुरू, अब बाहर नहीं कराना होगी महंगी जांच

उज्जैन. तीन दिन बंद रहने के बाद डायलिसिस यूनिट में जान लौट आई। आरओ वाटर प्लांट की मोटर खराब होने के चलते बंद यूनिट मंगलवार को शुरू होने के साथ ही मरीजों ने राहत की सांस ली।बीते सप्ताह आरओ वाटर प्लांट की मोटर खराब होने के चलते दो बार यूनिट बंद करना पड़ी। तीन दिन तक यूनिट में डायलिसिस नहीं हो सकी, जिस वजह से सप्ताह में दो बार डायलिसिस करवाने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। डायलिसिस प्रोग्राम के रीजनल मैनेजर डॉ.वैभव पाटिल ने बताया सोमवार को मोटर ठीक नहीं हो सकी। मंगलवार सुबह मोटर सुधर पाई। टेस्टिंग के बाद डायलिसिस आरंभ की गई।

देवास यूनिट में कराई डायलिसिस

डायलिसिस करवाने पहुंचे अनिल देवड़ा निवासी देवासगेट ने बताया कि तेज बुखार में दवाई के गलत डोज की वजह से दोनों किडनी फेल हो गईं। जुलाई से यूनिट में डायलिसिस करवा रहे हैं। यहां के स्टाफ ने देवास यूनिट में डायलिसिस करवाई। सप्ताह में दो बार देवास में डायलिसिस हो सकी।

शुरू होते ही की डायलिसिस

रामघाट निवासी वीरेंद्र सिंह ने बताया दवाई के ओवरडोज के चलते किडनी खराब हो गई। पिछले साल अप्रैल से यहां डायलिसिस करवा रहे हैं। यूनिट बंद होने से डायलिसिस नहीं हो सकी। जिससे तकलीफ बढ़ गई थी। गुरुवार को यूनिट शुरू होते ही स्टाफ ने डायलिसिस की। शनिवार को देवास में डायलिसिस की गई।

खुद नहीं बनें डॉक्टर

डॉ. पाटिल ने बताया कि यूनिट में ज्यादातर मरीज ऐसे हैं, जिनकी किडनी फेल्योर का मुख्य कारण खुद डॉक्टर बनना है। शरीर के दर्द या हल्के बुखार में मरीज मेडिकल से जाकर दवाई खा लेते हैं। कई बार एक्सपायरी डेट और हैवी डोज की वजह से किडनी फेल हो जाती है। इसलिए किसी भी बीमारी में मन से दवाई नहीं खानी चाहिए। बीमारी को गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

 

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