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महाकाल में अब इस अखाड़े का रहेगा दखल…अफसर नहीं कर पाएंगे मनमानी
उज्जैन | सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर प्रबंध समिति और पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी को मंदिर का स्टेक होल्डर (हिस्सेदार ) माना है। दोनों को शिवलिंग का नुकसान, क्षरण नहीं हो इसके लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आर्चियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की अनुशंसा का क्रियान्वयन करने के साथ समय- समय पर सुझाव देने के आदेश भी दिए हैं।
पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के मुख्य कानूनी सलाहकार और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अभिभाषक मुकेश खरे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में महाकाल शिवलिंग क्षरण रोकने और मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रबंध समिति और अखाड़े को मंदिर का स्टेक होल्डर (हिस्सेदार ) भी माना है। दोनों ही स्टेक होल्डर्स को शिवलिंग के नुकसान को रोकने और कोर्ट द्वारा गठित दलों की अनुशंसाओं का क्रियान्वयन कराने के साथ ही समय-समय पर सुझाव देने के लिए भी कहा है।
खेर के अनुसार ३० नवंबर २०१७ को याचिका की सुनवाई में भस्म आरती को लेकर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की ओर से प्रस्तुत जानकारी को देखने और सुनने के बाद पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महंत दयापुरी की ओर से मेरे और प्रियांश खेर द्वारा याचिका प्रस्तुत की थी। कोर्ट ने ४ दिसंबर २०१७ को याचिका स्वीकार करते हुए दयापुरी को रिस्पांडेंट नंबर आठ मानकर पक्ष रखने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। अखाड़े की ओर से मंदिर के इतिहास के साथ-साथ भस्म आरती की ५००० वर्ष प्राचीन जानकारी भी प्रस्तुत की गई थी। इसे कोर्ट ने मान्य किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए दिए फैसले की शुरुआत ही अखाड़े द्वारा कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत तथ्यों और जानकारी से की है। कोर्ट ने अपने ११७ पेज के फैसले में अनेक महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया है। अभिभाषक खरे ने बताया कि मंदिर प्रबंध समिति की ओर से गोशाला संचालित करने की जानकारी दी गई थी। इस पर कोर्ट ने मंदिर समिति से कहा कि वे अपनी गोशाला को विकसित करें। अधिक गाय होने पर दूध, दही और घी का उत्पादन भी अधिक होगा। शुद्ध सामग्री प्राप्त होगी, बाहर से सामग्री लाने की आवश्यकता ही नहीं रहेंगी।