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विवाद… कामदारपुरा में निर्माण को लेकर पार्षद और वक्फ बोर्ड आमने-सामने
कब्रिस्तान की जगह बनेगा कम्युनिटी हॉल, तैयारी शुरू
उज्जैन। नगर निगम कामदारपुरा में कब्रिस्तान व मस्जिद की जगह पर कम्युनिटी हॉल बनाने की तैयारी कर रहा है। निर्माण के लिए विज्ञप्ति जारी होते ही विवाद शुरू हो गया है।
वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने इसे नियम विरुद्ध बताते हुए आपत्ति जताई। वहीं क्षेत्रीय पार्षद ने इसे राजनैतिक हताशा के कारण विकास में बाधा बनने की बात कही है। इधर निगम अधिकारी जमीन का केस हाईकोर्ट से जितने पर टेंडर जारी करने का दावा कर रहे है।
कामदारपुरा स्थित चंद का कुआं की गली में एक बड़ा गेट लगा हुआ है। गेट के ऊपर लगी पट्टिका पर मस्जिद व कब्रिस्तान होना अंकित है। अंदर एक हॉल, तीन कब्र और पास में ही एक स्कूल बना हुआ है।
जमीन वक्फ बोर्ड की बताई जाती है। नगर निगम ने यहां सामुदायिक भवन बनाने के लिए 31 जनवरी को विज्ञप्ति जारी की है। इसके अनुसार 46.77.616 रु. की लागत से बनाने वाले कम्युनिटी हॉल के टेंडर फार्म 8 फरवरी से मिलेंगे और जमा 20 तक होंगे।
इधर प्रक्रिया शुरू हुई तो उधर विरोध भी शुरू हो गया। वक्फ बोर्ड अध्यक्ष निजाम हाशमी निगमायुक्त को इसके विरोध में आवेदन देंगे। वहीं क्षेत्र के पार्षद सलीम कबाड़ी ने हाशमी के अध्यक्ष होने पर सवाल खड़े कर दिए।
दूसरी ओर झोन 2 प्रभारी योगेंद्र गंगराड़े कोर्ट से केस जीतने के आधार पर निर्माण की तैयारी करना बताते हैं। बहरहाल कब्रिस्तान में सामुदायिक भवन बनने से पहले ही विवाद शुरू होने को लोग अशुभ मान रहे हंैं।
शोक की जगह मांगलिक कार्य
क्षेत्र के लोगों ने बताया यहां पूर्व में कब्रिस्तान था। आज भी कुछ कब्रें हैं। सामुदायिक भवन मांगलिक कार्य के लिए होते हैं। खुशियों पर बैंडबाजे भी बजेंगे। ऐसे में शोक की जगह पर जश्न कैसे मनाए जा सकता है।
जमीन सरकारी, कोर्ट से जीते
नगर निगम वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर बिना अनुमति निर्माण कर रही है। चंद के कुएं की जमीन बोर्ड की है। यहां बंद कब्रिस्तान पर सामुदायिक भवन बनाने की जानकारी मिली है। निगमायुक्त के समक्ष आवेदन देकर आपत्ति लेंगे।
– निजाम हाशमी, अध्यक्ष, वक्फ बोर्ड
पक्ष में फैसला होने पर टेंडर जारी जमीन सरकारी है। यहां निर्माण के लिए पहले भी टेंडर हुआ था। मामला कोर्ट पहुंचा था, जहां से निगम के पक्ष में फैसला होने पर टेंडर जारी किया गया। अधिक जानकारी पूरी फाइल पढऩे के बाद दे सकूंगा।
– योगेंद्र गंगराड़े, प्रभारी, झोन 2
सत्ता जाने पर कर रहे विरोध
जमीन वक्फ बोर्ड की ही है, यहां के अध्यक्ष हाशमी नहीं शफीभाई रैती वाला है और इस जमीन पर काफी समय से काम चल रहा है। हाशमी ने तब विरोध क्यों नहीं किया। वे बीजेपी के हैें इसलिए सत्ता जाने पर विरोध कर रहे हैं।
एक्सपर्ट की बात
पूर्व पार्षद रवि राय ने नगर निगम अधिनियम की धारा 66 व 67 का हवाला देकर कहाकि प्रावधान है कि शहरी क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति करने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है।
श्मशान व कब्रिस्तान की भी समूची व्यवस्था निगम को करना होती है। इसलिए शहर के सभी कब्रिस्तानों की बाउंड्रीवॉल निगम ने बनवाई है। वक्फ बोर्ड की जमीन भी सरकारी होती है। वहां सामुदायिक भवन बनाया जा सकता है।