बड़ा सुधार होने जा रहा है! महाकाल मंदिर का 43 साल पुराना अधिनियम बदलने की तैयारी, गुजरात के सोमनाथ ट्रस्ट की तर्ज पर नया अधिनियम किया जाएगा तैयार

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

मध्य प्रदेश की पवित्र नगरी उज्जैन, जिसे धर्म और अध्यात्म का केंद्र माना जाता है, अब एक ऐतिहासिक बदलाव की ओर बढ़ रही है। इस बदलाव का केंद्र है विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर का 43 साल पुराना अधिनियम (1982) बदलने की योजना बनाई जा रही है। आइए, जानते हैं इस बदलाव से जुड़ी हर अहम बात।

महाकाल मंदिर का अधिनियम 1982 में लागू किया गया था। लेकिन बदलते समय और बढ़ती व्यवस्थाओं की ज़रूरतों को देखते हुए, इसमें बदलाव अनिवार्य हो गया है। गुजरात के सोमनाथ ट्रस्ट के अधिनियम को आदर्श मानते हुए, महाकाल मंदिर के नए अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। यह केवल महाकाल मंदिर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उज्जैन के सभी मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर लागू होगा।

दरअसल, हाल की घटनाओं, जैसे आग लगने की वजह से सेवक की मौत, दर्शन व्यवस्था में ठगी और अन्य विवादों ने मंदिर की छवि पर असर डाला है। इन समस्याओं का समाधान निकालने और व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए, महाकाल मंदिर के 43 साल पुराने अधिनियम (1982) को बदलने की तैयारी की जा रही है। 1982 में लागू किए गए मौजूदा अधिनियम के तहत सिर्फ महाकाल मंदिर परिसर में स्थित 17 मंदिर और मूर्तियों का प्रबंधन किया जाता है।

हालांकि, उज्जैन में 50 से अधिक विश्व प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थ स्थल हैं, जिनमें कालभैरव, हरसिद्धि, मंगलनाथ, गुरु सांदीपनि आश्रम, गढ़कालिका, चिंतामण गणेश और 84 महादेव मंदिर शामिल हैं। नए अधिनियम के तहत, ‘मंदिर’ का अर्थ पूरे उज्जैन तीर्थ क्षेत्र के सभी मंदिर होंगे। इस बदलाव से उज्जैन के धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विकास को नया आयाम मिलेगा।

अगर प्रमुख बदलाव और सुधार की बात की जाए तो नए अधिनियम में मंदिर समिति के अध्यक्ष और प्रशासक की नियुक्ति की प्रक्रिया को नया स्वरूप दिया जाएगा। समिति को अधिक अधिकार और जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। नए अधिनियम के तहत उज्जैन के सभी मंदिरों का प्रबंधन किया जाएगा। तीर्थक्षेत्र के समग्र विकास पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं शामिल हैं। ठगी और अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए पारदर्शी दर्शन प्रक्रिया लागू की जाएगी। साथ ही सोमनाथ ट्रस्ट के सफल प्रबंधन मॉडल के आधार पर महाकाल मंदिर का अधिनियम तैयार किया जाएगा।

जानकारी के लिए बता दें, धर्मस्व विभाग द्वारा इस अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। इसके लिए एक विशेष कमेटी बनाई जाएगी, जो सुझाव आमंत्रित करेगी। दो महीनों में इस ड्राफ्ट को अंतिम रूप देकर, नियम लागू किए जाएंगे।

उज्जैन का हर मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थान नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। ऐसे में नया अधिनियम उज्जैन को एक संगठित तीर्थक्षेत्र के रूप में विकसित करेगा। श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाने के साथ-साथ, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और इससे मंदिरों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी लाई जाएगी।

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