भ्रष्टाचार का काला खेल: तहसीलदार की कुर्सी गई, अब पटवारी की नौकरी करेंगे अरुण चंद्रवंशी; कलेक्टर ने जारी किया आदेश

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के आगर-मालवा जिले में प्रशासनिक हलकों में बड़ा भूचाल आ गया, जब भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे नायब तहसीलदार अरुण चंद्रवंशी को डिमोट कर पटवारी बना दिया गया। कलेक्टर कार्यालय से आधिकारिक आदेश जारी होते ही जिले में यह मामला सुर्खियों में आ गया।

400 फर्जी राशन कार्ड, पट्टे की जमीन बेची और रिश्वतखोरी का खेल!

लोकायुक्त की जांच में खुलासा हुआ कि अरुण चंद्रवंशी ने 400 से ज्यादा फर्जी गरीबी रेखा के राशन कार्ड जारी कर दिए, जिनकी वैधता मात्र एक साल थी। जबकि देशभर में ऐसा कोई नियम ही नहीं है!

इतना ही नहीं, कलेक्टर के विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने पट्टे की जमीन बेचने की अनुमति भी दे डाली। यही नहीं, एक विवादित जमीन का नामांतरण, जो पहले ही न्यायालय में लंबित था, उसे भी अपने निजी हित में मंजूरी दे दी

दरअसल, एडवोकेट भागीरथ देवड़ा ने नायब तहसीलदार (अब पटवारी) अरुण चंद्रवंशी के खिलाफ फरवरी 2024 में कलेक्टर, कमिश्नर, मुख्यमंत्री और लोकायुक्त से शिकायत की थी। एडवोकेट भागीरथ देवड़ा ने जब तहसीलदार के खिलाफ शिकायत की तो असली सुनामी आई। उन्होंने बताया कि जब उनके पक्षकार ने पट्टे की भूमि बेचने की अनुमति के लिए आवेदन किया, तो अरुण चंद्रवंशी ने कोर्ट के बोर्ड पर ही 25 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर डाली!

बेशर्मी की हद तो तब पार हो गई जब चंद्रवंशी ने रिश्वत लेने के लिए यह तर्क दिया कि सरकार से उन्हें सिर्फ एक चपरासी मिला है, और उन्हें अपने निजी स्टाफ की तनख्वाह के लिए वकीलों से पैसे लेने पड़ते हैं। दरअसल, एडवोकेट भागीरथ देवड़ा ने बताया कि उनके पक्षकार ने पट्‌टे की भूमि बेचने की अनुमति लेने के लिए कलेक्टर न्यायालय में आवेदन लगाया था, जिसको लेकर अरुण चंद्रवंशी को अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन अरुण चंद्रवंशी ने बोर्ड पर ही एडवोकेट देवड़ा से 25 हजार रुपए की रिश्वत मांग ली और कहा कि शासन से मुझे सिर्फ एक चपरासी मिला है। मुझे अपने काम करने के लिए प्राइवेट लोगों को रखना पड़ रहा है, जिनकी तनख्वाह की व्यवस्था आप जैसे एडवोकेट से ही होती है।

अब पटवारी बनकर करेंगे कलम चलाने का काम!

लोकायुक्त की सिफारिश और कलेक्टर की कड़ी कार्रवाई के बाद अरुण चंद्रवंशी को नायब तहसीलदार से पटवारी बना दिया गया और उज्जैन जिले में पदस्थ कर दिया गया

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