विक्रम विश्वविद्यालय में छात्रों की इको-फ्रेंडली पहल: महाकाल के फूल और तुलसी बीज से बनीं इको गणेश मूर्तियां, गणेश विसर्जन के बाद उगेंगे पौधे; यूनिवर्सिटी छात्रों को दे रही पूरा सहयोग!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

विक्रम विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग सहित अन्य संकायों के विद्यार्थियों ने इस गणेश चतुर्थी को प्रकृति और परंपरा के संगम का अद्भुत उदाहरण पेश किया है। यहां के छात्र पारंपरिक पीली मिट्टी से इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं, जिनकी खासियत यह है कि इनमें तुलसी के बीज और महाकाल मंदिर से प्राप्त सूखे फूलों के बीज मिलाए गए हैं। इस नवाचार का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि यह भी कि प्रतिमा विसर्जन के बाद गमले या जमीन में पौधे उग आएं, जिससे गणेशोत्सव एक हरित परंपरा का रूप ले सके।

ललित कला विभाग के छात्र पंकज सेहरा ने बताया कि इन प्रतिमाओं के निर्माण में प्रयागराज की पवित्र मिट्टी और जल का उपयोग भी किया गया है, जिससे यह और भी पवित्र और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हो गई हैं। अभी तक छात्रों को करीब 100 प्रतिमाओं के ऑर्डर मिल चुके हैं। ये प्रतिमाएं 5 इंच से लेकर 2 फीट तक की बनाई जा रही हैं, जो घरों से लेकर संस्थानों तक की जरूरतों को पूरा करेंगी।

बीएससी कंप्यूटर साइंस के छात्र राज भार्गव ने बताया कि इन प्रतिमाओं को सजाने के लिए सिर्फ प्राकृतिक रंगों — जैसे गैरू और ऑर्गेनिक कलर — का उपयोग किया जा रहा है। उनका मानना है कि यह पहल एक नए स्टार्टअप की संभावनाएं भी खोल सकती है और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बना सकती है।

विशेष बात यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस पहल को प्रोत्साहित किया है। कुलपति प्रो. अर्पण भारद्वाज ने छात्रों को विश्वविद्यालय के मुख्य प्रशासनिक भवन स्थित गणेश हॉल में प्रतिमाएं बनाने का स्थान उपलब्ध कराया है। इसके अलावा, इन विद्यार्थियों द्वारा अन्य नए छात्रों और आम नागरिकों को प्रतिमा निर्माण का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सात दिवसीय इस प्रशिक्षण में युवाओं के साथ-साथ बड़ी उम्र के लोगों ने भी रुचि दिखाई है।

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