सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर: उज्जैन में आवारा कुत्तों पर शिकंजा कसने की तैयारी, महापौर ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग; हिंसक कुत्तों की पहचान कर श्वान गृह भेजने का दिया आदेश!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

दिल्ली-एनसीआर में स्ट्रीट डॉग्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का असर अब मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी तेज़ी से दिखने लगा है। आदेश की खबर फैलते ही शहर के नागरिक नगर निगम से लगातार संपर्क कर रहे हैं और हिंसक हो चुके आवारा कुत्तों को शहर से बाहर भेजने की मांग कर रहे हैं। लोगों की चिंता नई नहीं है—पिछले डेढ़ साल में उज्जैन में लगभग 30 हजार लोग कुत्तों के हमलों का शिकार हो चुके हैं, जिनमें से दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। यह आंकड़े न केवल चिंता बढ़ाने वाले हैं, बल्कि शहरी सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करते हैं।

मंगलवार को इस गंभीर मुद्दे पर महापौर मुकेश टटवाल ने स्वास्थ्य विभाग प्रभारी सत्यनारायण चौहान, उपायुक्त योगेंद्र सिंह पटेल और संजेश गुप्ता के साथ अहम बैठक की। बैठक में महापौर ने आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या, हमलों के मामलों और मौजूदा नियंत्रण व्यवस्थाओं पर विस्तार से चर्चा की। जानकारी के अनुसार, नगर निगम ने पिछले पांच वर्षों में कुल 30,696 स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी कराई है, लेकिन हाल के आंकड़े बताते हैं कि समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है। महापौर ने सदावल स्थित श्वान गृह (डॉग शेल्टर) की कार्यप्रणाली की समीक्षा की और निर्देश दिया कि शहर में रोजाना बढ़ते डॉग बाइट मामलों को रोकने के लिए व्यवस्था को और मजबूत किया जाए। साथ ही, उन्होंने नसबंदी और रेबीज टीकाकरण अभियान को तेज करने के निर्देश भी दिए, ताकि हिंसक और बीमार कुत्तों से संक्रमण का खतरा कम हो सके।

उज्जैन के 7 लाख की आबादी वाले इस शहर में केवल 2024 में ही 19,949 डॉग बाइट केस दर्ज हुए, जबकि 2025 के जनवरी से जून तक 10,296 नई घटनाएं सामने आईं। मई 2025 में 1,417, जून में 1,552 और जुलाई में 1,512 लोगों को कुत्तों ने काटा। इनमें से कुछ घटनाएं इतनी गंभीर थीं कि कुत्तों के हमले से दो लोगों की जान तक चली गई। लगातार बढ़ते इन मामलों ने आम नागरिकों के बीच डर और असुरक्षा की भावना को और गहरा कर दिया है।

महापौर मुकेश टटवाल ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम आक्रामक रूप से कार्यवाही कर रहा है। ऐसे सभी कुत्तों को चिन्हित कर पकड़ा जाएगा जो लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, और उन्हें श्वान गृह में शिफ्ट किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद नागरिकों के फोन लगातार आ रहे हैं, और नगर निगम वरिष्ठ अधिकारियों की राय लेकर ठोस एक्शन प्लान तैयार कर रहा है। उनका मानना है कि यह केवल एक प्रशासनिक चुनौती नहीं, बल्कि एक मानवीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है, जिस पर तत्काल और सख्त कदम उठाने जरूरी हैं।

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