उज्जैन में इस्कॉन का अलौकिक आयोजन: “जल गंगा संवर्धन पखवाड़ा” के अंतर्गत भगवान श्रीजगन्नाथ का भक्तिमय अभिषेक, 27 जून को निकलेगी भव्य रथयात्रा

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन में भक्ति, पर्यावरण और समरसता का दुर्लभ संगम इस्कॉन उज्जैन के पावन परिसर में देखने को मिलेगा, जब “जल गंगा संवर्धन पखवाड़ा” के अंतर्गत भगवान श्रीजगन्नाथ की भव्य स्नान यात्रा का आयोजन किया जाएगा। 11 जून, मंगलवार को प्रातः 9:30 से 11:30 बजे तक इस्कॉन मंदिर परिसर में विशेष वेदिका पर भगवान श्रीजगन्नाथ, श्री बलदेव और सुभद्रा महारानी का गंगा सहित देश के प्रमुख पवित्र तीर्थों के जल से भक्तिमय अभिषेक किया जाएगा।
इस्कॉन उज्जैन के पीआरओ पंडित राघव दास ने जानकारी देते हुए बताया कि इस अलौकिक स्नान महोत्सव की विशेषता यह है कि इसमें गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा सहित कोटी-कोटी तीर्थों के जल से भगवान का अभिषेक किया जाएगा और श्रद्धालु स्वयं अपने हाथों से इस पुण्य कार्य में भाग ले सकेंगे। यह आयोजन जाति, पंथ और सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठकर सर्वसमावेशी भक्ति का जीवंत उदाहरण बनेगा। उन्होंने बताया कि इसमें सम्मिलित होने वाले श्रद्धालुओं से केवल इतना ही अनुरोध है कि वे पारंपरिक एवं शुद्ध वेशभूषा में पधारें — पुरुष धोती-कुर्ता और महिलाएं साड़ी में आकर अभिषेक करें। इस आयोजन के माध्यम से भक्तों को न केवल पुण्य लाभ मिलेगा, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई से अनुभूति भी होगी।
इस भव्य स्नान उत्सव के साथ ही उज्जैनवासियों को एक और दिव्य अवसर इस महीने प्राप्त होने जा रहा है। 27 जून को इस्कॉन द्वारा भगवान श्रीजगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाएगा, जो दोपहर 2:00 बजे उज्जैन के मंडी चौराहा से प्रारंभ होकर चामुंडा माता चौराहा, ओवरब्रिज, घंटाघर, तीन बत्ती चौराहा और देवास रोड होते हुए कालिदास अकादमी स्थित गुंडिचा मंदिर तक पहुंचेगी। वहां भगवान की सात दिवसीय विश्राम यात्रा आयोजित होगी, जो श्रद्धालुओं के लिए सात दिनों तक दिव्य दर्शन और भक्ति से भरपूर अनुभूति का अवसर बनेगी।
इस वर्ष यह आयोजन और भी व्यापक स्वरूप में हो रहा है। इस्कॉन मध्यप्रदेश द्वारा राज्यभर में कुल 42 स्थानों पर रथ यात्राएं निकाली जाएंगी, जिनमें से 34 यात्राएं इस्कॉन उज्जैन और 8 यात्राएं इस्कॉन इंदौर द्वारा आयोजित की जा रही हैं। ये यात्राएं लगभग 26 जिलों को कवर करेंगी और हजारों श्रद्धालुओं को भक्ति, सेवा और सांस्कृतिक चेतना से जोड़ने का माध्यम बनेंगी।