कार्तिक माह की पहली सवारी में नगर भ्रमण पर निकले भगवान महाकाल, राजसी ठाट-बाट में गूंजे ‘जय महाकाल’ के नारे; पहली बार शामिल हुआ महाकालेश्वर बैंड!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में कार्तिक माह की परंपरागत पहली सवारी सोमवार शाम भक्तिभाव और राजसी ठाट-बाट के साथ निकली। सवारी से पहले मंदिर के सभामंडप में शाम 4 बजे भगवान श्री महाकालेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन हुआ। पूजन कार्यक्रम में कलेक्टर रोशन कुमार सिंह और एएसपी प्रदीप शर्मा ने भाग लेकर भगवान मनमहेश रूप में सज्जित महाकाल की पालकी की आरती की।

पूजन के बाद भगवान श्री महाकालेश्वर पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकले — यह माना जाता है कि इस सवारी के दौरान भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं।

पहली बार शामिल हुआ महाकालेश्वर बैंड

इस वर्ष की सवारी खास इसलिए भी रही क्योंकि इसमें पहली बार महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा गठित “श्री महाकालेश्वर बैंड” को शामिल किया गया। यह बैंड भक्तिमय धुनों पर कदमताल मिलाते हुए श्रद्धालुओं में उत्साह का संचार करता नजर आया।
सवारी के दल में पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान भी शामिल रहे, जिन्होंने पूरे अनुशासन और गरिमा के साथ यात्रा को भव्यता दी।

इन मार्गों से निकली भगवान महाकाल की सवारी

मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक के अनुसार, भगवान श्री महाकालेश्वर मनमहेश रूप में मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट क्षिप्रा तट पहुंचे। वहां मां क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन के बाद सवारी ने वापसी यात्रा शुरू की।
सवारी का मार्ग इस प्रकार रहा —
रामघाट → गणगौर दरवाजा → मोड की धर्मशाला → कार्तिक चौक → खाती का मंदिर → सत्यनारायण मंदिर → ढाबा रोड → टंकी चौराहा → छत्री चौक → गोपाल मंदिर → पटनी बाजार → गुदरी बाजार → श्री महाकालेश्वर मंदिर।

रास्तेभर भक्तों ने फूलों की वर्षा कर ‘हर हर महादेव’ और ‘जय महाकाल’ के नारे लगाए। जगह-जगह झांकियां, सजावट और दीपों की रोशनी से पूरा उज्जैन भक्ति में डूबा नजर आया।

आगे निकलेंगी ये सवारियां

महाकाल मंदिर की परंपरा के अनुसार, कार्तिक माह में कुल चार सवारियां निकलती हैं।

  • द्वितीय सवारी (हरिहर मिलन सवारी) – 3 नवंबर

  • तृतीय सवारी – 10 नवंबर

  • चतुर्थ सवारी – 17 नवंबर

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