शनि जयंती और भौमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग, उज्जैन सहित प्रदेशभर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़; त्रिवेणी के नवग्रह शनि मंदिर में हुआ भव्य पूजन!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

मंगलवार, 4 जून को शनि जयंती के पावन अवसर पर धार्मिक नगरी उज्जैन सहित प्रदेश और देशभर में आस्था की अद्भुत तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। इस बार शनि जयंती पर भौमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है। उज्जैन के त्रिवेणी स्थित नवग्रह शनि मंदिर सहित शहर के प्रमुख शनि मंदिरों में आज सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है।

सुबह पट खुलने के साथ ही शनि देव का वैदिक विधि-विधान से अभिषेक, तेल चढ़ाना, सिंदूर अर्पण, पुष्प और प्रसाद अर्पण के साथ दिनभर के धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत हुई। भक्तगण दूर-दूर से दर्शन करने के लिए त्रिवेणी पहुंचे हैं। दिन में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है, जबकि रात में महाआरती की जाएगी, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेंगे।

नवग्रह शनि मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर न केवल शनिदेव को समर्पित है, बल्कि इसमें अन्य सभी नवग्रहों की मूर्तियां भी विराजमान हैं। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना सम्राट विक्रमादित्य ने स्वयं की थी। यहां शनि देव की दो प्रतिमाएं हैं – एक सामान्य शनि स्वरूप और दूसरी ढैया शनि स्वरूप की। जिन भक्तों पर शनि की साढ़े साती या ढैया का प्रभाव होता है, वे यहां दर्शन कर संकटों से मुक्ति की कामना करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से शनि दोष का प्रभाव शांत हो जाता है।

शहर के अन्य प्रमुख शनि मंदिरों में भी आयोजन बेहद भव्य रूप में हो रहे हैं। बम्बाखाना नई पेठ स्थित शनि मंदिर में सुबह 9 बजे से अभिषेक और पूजन प्रारंभ हुआ, इसके बाद 11 बजे हवन और 12 बजे जन्म आरती की गई। सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। वहीं, ढाबा रोड स्थित शनि मंदिर में एकादशी से ही पूजन क्रम प्रारंभ हो चुका था, चौदस से लेकर आज तक विशेष पूजन चल रहा है। यहां भी मंगलवार को जन्म आरती के साथ दो क्विंटल नुकती का प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किया गया।

हर साल की तरह इस बार भी शनि जयंती के अवसर पर पूरे उज्जैन में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण है। दिनभर मंदिरों में शनि मंत्रों का जाप, हवन, विशेष पूजन, शनि चालीसा पाठ, और जन्म आरती के कार्यक्रम चल रहे हैं। श्रद्धालु काले तिल, सरसों के तेल, लोहे के छल्ले, और उड़द चढ़ाकर शनि देव की कृपा प्राप्त कर रहे हैं।इस अवसर पर शहर के मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था और यातायात नियंत्रण के विशेष प्रबंध किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

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