उज्जैन के चरक भवन अस्पताल में लिफ्ट में फंसे मरीजों के परिजन, 20 मिनट तक मची चीख-पुकार; फंसे 10 लोग, सेंसर और बटन हुए खराब!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल चरक भवन में रविवार सुबह एक बार फिर लापरवाह व्यवस्था का चौंकाने वाला नजारा देखने को मिला, जब मरीजों के परिजन करीब 20 मिनट तक लिफ्ट में फंसे रहे। यह घटना सुबह करीब 10 बजे की है, जब ग्राउंड फ्लोर से तीसरी मंजिल की ओर जा रही लिफ्ट नंबर 3 में 8 से 10 लोग सवार थे। जैसे ही लिफ्ट दूसरी और तीसरी मंजिल के बीच पहुंची, अचानक बिजली चली गई और लिफ्ट बीच में ही अटक गई।
लिफ्ट में फंसे लोग, जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे, घबराहट और घुटन की स्थिति में आ गए। अंदर से चीख-पुकार शुरू हो गई। अस्पताल में मौजूद अन्य लोग लिफ्ट के बाहर जमा हो गए और कर्मचारियों को सूचित किया। तकरीबन 20 मिनट बाद बैकअप पावर सप्लाई चालू हुई, जिसके बाद लिफ्ट चल पड़ी और अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला गया।
यह कोई पहली घटना नहीं है। छह मंजिला चरक भवन में कुल 10 लिफ्टें हैं, जिनमें से केवल 8 चालू हालत में हैं। इनमें से भी अधिकांश लिफ्टों के सेंसर खराब हैं, और कंट्रोल बटन भी ठीक से काम नहीं करते। न ही इनमें कोई लिफ्ट ऑपरेटर तैनात किया गया है। ऐसे में आमजन के लिए लिफ्ट का उपयोग एक जोखिमभरा कार्य बनता जा रहा है।
प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों और उनके परिजनों की आवाजाही इन लिफ्टों से होती है। लेकिन लंबे समय से रखरखाव नहीं होने और पुरानी तकनीक की लिफ्टों के चलते, ये आए दिन खराब हो जाती हैं। कई बार तो मरीजों को स्ट्रेचर पर लेकर सीढ़ियों से ऊपर ले जाना पड़ता है, जिससे गंभीर स्थिति वाले मरीजों के लिए खतरा और भी बढ़ जाता है।
इस पूरे घटनाक्रम पर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. अजय दिवाकर ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि बिजली जाने के कारण कुछ समय के लिए लिफ्ट रुक गई थी, लेकिन बैकअप शुरू होने पर सब ठीक हो गया। उन्होंने यह भी बताया कि लिफ्ट मेंटेनेंस का नया टेंडर लेने वाले एजेंसी को सोमवार को नोटिस जारी किया जाएगा।