विक्रम विश्वविद्यालय में आज आयोजित होगा ‘सारस्वत सम्मान 2025’: शिक्षा, शोध और संस्कृति को एक मंच पर किया जाएगा सम्मानित, कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज को भी मिलेगा विशेष सम्मान!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय में आज एक भव्य और गरिमामयी आयोजन होने जा रहा है, जिसका उद्देश्य न केवल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास की उपलब्धियों को रेखांकित करना है, बल्कि उन चेहरों को सम्मानित करना है जिनके अथक परिश्रम और दूरदृष्टि ने विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर गौरव दिलाया है।

‘सारस्वत सम्मान 2025’ नामक यह आयोजन सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय प्राध्यापक कल्याण परिषद के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। आयोजन का नेतृत्व परिषद अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक डॉ. हेमंत लोदवाल कर रहे हैं। इस सम्मान समारोह का मुख्य उद्देश्य उन कार्यपरिषद सदस्यों और विश्वविद्यालय अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से मान्यता देना है, जिन्होंने बीते दो वर्षों में विश्वविद्यालय की संरचना, गुणवत्ता और पहचान को नई दिशा दी है।

डॉ. लोदवाल ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में विक्रम विश्वविद्यालय ने असाधारण गति से प्रगति की है। उनकी पहल पर विश्वविद्यालय का नाम “विक्रम विश्वविद्यालय” से बदलकर “सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय” किया गया — जो एक ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है। इस बदलाव ने संस्थान की पहचान को न केवल प्रदेश स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विशिष्ट दर्जा दिलाया है।

इसके साथ ही पीएम उषा योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय को 100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई है, जिससे अध्ययनशालाओं के विकास, शैक्षणिक अधोसंरचना के विस्तार और रिसर्च को बढ़ावा देने की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

विश्वविद्यालय की एक और उल्लेखनीय उपलब्धि रही है — समयबद्ध परीक्षाएं और सत्र पूर्व परीक्षा परिणाम। इस अनुशासनात्मक कार्यशैली ने विश्वविद्यालय को प्रदेश के अन्य संस्थानों के मुकाबले अग्रणी बनाया है।

सारस्वत सम्मान समारोह में जिन कार्यपरिषद सदस्यों को विशेष रूप से सम्मानित किया जा रहा है, उनमें राजेश सिंह कुशवाह, वरुण गुप्ता, मंजूषा मिमरोट, कुसुमलता निगवाल, रूप पमनानी और डॉ. संजय वर्मा प्रमुख हैं। इनके योगदान ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक दिशा को मजबूती दी है।

वहीं विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज को भी सम्मानित किया जा रहा है, जिनकी प्रशासनिक समझ, अकादमिक दूरदृष्टि और निर्णय क्षमता ने विश्वविद्यालय को वास्तविक परिवर्तन की ओर अग्रसर किया है।

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा को भी उनके प्रशासनिक कौशल और समर्पण के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा।

कार्यक्रम में यह भी बताया जाएगा कि विश्वविद्यालय में डेयरी टेक्नोलॉजी सहित कई नए प्रोफेशनल कोर्सेज की शुरुआत की गई है। साथ ही, खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए खेल पाठ्यक्रम भी आरंभ किए गए हैं।

पीएचडी प्रवेश परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि प्रदान करना, शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देना और अतिथि विद्वानों के मानदेय में वृद्धि जैसे फैसलों ने इस विश्वविद्यालय को अकादमिक रूप से और भी समृद्ध बनाया है।

अंत में, विश्वविद्यालय की छात्रावास व्यवस्था के नवीनीकरण और विकास, और विभिन्न सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक समितियों में योग्य फैकल्टी की भागीदारी ने विक्रम विश्वविद्यालय को एक सशक्त, प्रगतिशील और जिम्मेदार शिक्षण संस्था के रूप में स्थापित किया है।

बता दें, ‘सारस्वत सम्मान 2025’ का आयोजन 24 जुलाई को सायं 6:30 बजे स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित होगा, जिसमें विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी, विभागाध्यक्ष, शिक्षक और कर्मचारी भाग लेंगे। यह आयोजन न केवल उपलब्धियों की सराहना है, बल्कि भविष्य की शिक्षा नीति और संस्थागत विकास के लिए प्रेरणास्रोत भी बनने जा रहा है।

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