उज्जैन में कार्तिक–अगहन माह की अंतिम राजसी सवारी 17 नवंबर को: 5 किलोमीटर मार्ग से गुजरेगी भव्य यात्रा, रामघाट पर अभिषेक-आरती

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर से कार्तिक–अगहन माह की अंतिम राजसी सवारी सोमवार, 17 नवंबर को पारंपरिक और भव्य स्वरूप में निकलेगी। पूरे शहर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है, क्योंकि इस बार सवारी का मार्ग बढ़ाकर लगभग 5 किलोमीटर कर दिया गया है।

सभा मंडप में पूजन के बाद रजत पालकी में दर्शन

सोमवार को दोपहर बाद मंदिर सभा मंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन किया जाएगा। पूजन के बाद उन्हें रजत पालकी में विराजित किया जाएगा। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल द्वारा भगवान को सलामी दी जाएगी।

सांय 4 बजे नगर भ्रमण के लिए रवाना होगी सवारी

पूजन का कार्य 3:30 बजे शुरू होगा, जिसके बाद ठीक 4 बजे सवारी मंदिर परिसर से रवाना होगी। आगे-आगे अश्वारोही दल, पुलिस बैंड, मंदिर समिति का बैंड, डमरू वादक और भजन मंडलियाँ रहेंगे।
अंतिम सवारी होने के कारण इसे पूर्ण रूप से राजसी स्वरूप में निकाला जाएगा।

इस बार मार्ग हुआ लंबा, भक्त करेंगे पुष्पवर्षा

परंपरागत मार्ग के साथ-साथ इस बार सवारी शहर के कुछ अतिरिक्त रास्तों से भी गुज़रेगी। दोनों ओर खड़े हजारों भक्त भगवान महाकाल की पालकी पर पुष्पवर्षा कर दर्शन लाभ लेंगे।

रामघाट पर मां शिप्रा के जल से अभिषेक और आरती

सवारी महाकालेश्वर मंदिर से निकलकर
महाकाल चौराहा → गुदरी चौराहा → बक्षी बाजार → कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचेगी।
यहां मां शिप्रा के पवित्र जल से भगवान चंद्रमौलेश्वर का अभिषेक और आरती होगी।
इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहेंगे।

प्रमुख ऐतिहासिक मार्गों से होती हुई सवारी की वापसी

रामघाट के बाद सवारी निम्न मार्गों से होते हुए वापस लौटेगी—
गणगौर दरवाजा → मोढ़ की धर्मशाला → कार्तिक चौक → खाती का मंदिर → सत्यनारायण मंदिर → ढाबा रोड → टंकी चौराहा → मिर्जानईम बेग मार्ग → तेलीवाड़ा → कंठाल चौराहा → छत्री चौक → गोपाल मंदिर।

गोपाल मंदिर में पारंपरिक पूजन के बाद सवारी पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होकर पुनः महाकाल मंदिर परिसर में लौट आएगी।

सवारी का समापन मंदिर परिसर में

मंदिर पहुंचने के बाद सभा मंडप में पुनः भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन और आरती की जाएगी। इस आरती के बाद कार्तिक–अगहन माह की इस वर्ष की अंतिम राजसी सवारी का औपचारिक विश्राम होगा।

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