उज्जैन में चिंतामण गणेश मंदिर की भव्य जत्रा शुरू, श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी; 11 फलों के रस से हुआ अभिषेक

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन स्थित प्रसिद्ध श्री चिंतामण गणेश मंदिर में चैत्र मास के दौरान भक्तों की श्रद्धा का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। इस पावन माह में चार विशेष जत्राओं का आयोजन किया जाता है, जिसकी शुरुआत 19 मार्च, बुधवार से हो चुकी है। इसके बाद 26 मार्च, 2 अप्रैल और 9 अप्रैल को क्रमशः जत्राएं आयोजित होंगी।
यह परंपरा वर्षों पुरानी है और श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्व रखती है। चैत्र मास के प्रत्येक बुधवार को आयोजित इस भव्य जत्रा में हजारों की संख्या में भक्त मंदिर में उमड़ते हैं और श्री गणपति के चरणों में अपनी अटूट आस्था प्रकट करते हैं। मान्यता है कि चिंतामण गणेश के दर्शन मात्र से समस्त कष्टों का नाश होता है और हर मनोकामना पूरी होती है।
गांव-गांव से आते हैं श्रद्धालु, नई फसल अर्पित करने की परंपरा
इस पवित्र अवसर पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से भक्त अपनी नई फसल को भगवान के चरणों में अर्पित करने के लिए पहुंचते हैं। यह परंपरा दर्शाती है कि किसान अपनी मेहनत की पहली उपज भगवान को समर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। श्रद्धालु विभिन्न प्रकार के फल, अनाज और अन्य उपहार लेकर मंदिर में आते हैं और अपनी आस्था एवं भक्ति से भगवान को रिझाने का प्रयास करते हैं।
मंदिर में विशेष पूजन और अभिषेक अनुष्ठान
मंदिर के पंडित राहुल पुजारी के अनुसार, आज सुबह 4 बजे मंदिर के पट खुलने के साथ ही भगवान गणेश का पंचामृत अभिषेक किया गया। इसके बाद 11 प्रकार के फलों के रस से स्नान कराकर गणेश जी को विशेष श्रृंगार धारण कराया गया। दिनभर भक्तों के लिए दर्शन की सुविधा उपलब्ध रहेगी, जो रात्रि की शयन आरती तक जारी रहेगी।
व्यवस्था और सुरक्षा के विशेष इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। दर्शन के लिए सुव्यवस्थित कतारें, पेयजल एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं ताकि भक्तगण शांतिपूर्वक और सहज रूप से दर्शन का लाभ उठा सकें।
श्री चिंतामण गणेश मंदिर की महिमा
यह मंदिर उज्जैन के सबसे प्राचीन और पवित्र गणेश मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान यहां गणेश जी की उपासना की थी और उन्हें ‘चिंताओं को हरने वाले देवता’ के रूप में पूजा था। तभी से यह चिंतामण गणेश मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हो गया। भक्तों का मानना है कि जो कोई भी सच्चे मन से यहां आकर भगवान चिंतामण के चरणों में शीश झुकाता है, उसकी समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं।