उज्जैन-जावरा एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे का टेंडर रद्द, किसानों के विरोध और तकनीकी दिक्कतों के चलते निर्माण पर लगी अस्थाई रोक; अब होगा नया टेंडर जारी!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन से जावरा के बीच बनने वाले 102 किलोमीटर लंबे एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे के निर्माण कार्य को झटका लगा है। करीब 5017 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित इस मेगा प्रोजेक्ट का टेंडर एमपी रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी) ने रद्द कर दिया है। अब इस हाईवे के निर्माण के लिए नया टेंडर निकाला जाएगा। एमपीआरडीसी के अधिकारियों के अनुसार, टेंडर रद्द करने का निर्णय तकनीकी कारणों और भूमि अधिग्रहण के दौरान किसानों द्वारा किए गए विरोध के चलते लिया गया है।
इस एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे के बनने से उज्जैन से दिल्ली या मुंबई तक की दूरी महज 10 घंटे में तय की जा सकती थी। यह हाईवे प्रदेश के मालवा क्षेत्र को राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ते हुए व्यापार, आवागमन और निवेश की संभावनाओं को नई उड़ान देने वाला था।
बता दें, उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने पुष्टि की कि पहले जिस कंपनी को हाईवे निर्माण का ठेका दिया गया था, उसे अब हटा दिया गया है। एमपीआरडीसी नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू करेगी। उन्होंने बताया कि यह सड़क पूरी तरह एक्सेस कंट्रोल्ड होगी, जिसके दोनों ओर फेंसिंग की जाएगी ताकि जानवरों के सड़क पर आने की संभावना पूरी तरह खत्म हो सके। साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाया जाएगा।
गौरतलब है की सितंबर 2024 में उज्जैन जिले के गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। मार्च 2025 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन इस दौरान कई किसानों ने मुआवजा राशि और रोड डिजाइन को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। किसानों का कहना था कि रोड का ऐसा डिज़ाइन तैयार किया जाए जिससे गांवों में आने-जाने में कोई बाधा न हो, और उनके खेतों का बंटवारा न हो। कई किसानों ने यह भी कहा कि उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। वहीं, इस प्रस्तावित हाईवे पर यात्रियों और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए कई अहम ढांचे बनाए जाने थे, जिनमें शामिल हैं:
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7 इंटरचेंज, ताकि आसपास के गांवों को हाईवे से जोड़ा जा सके
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5 फ्लाईओवर
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2 रेलवे ओवरब्रिज
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7 बड़े और 26 छोटे पुल
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270 पुलिया
अब एमपीआरडीसी के उज्जैन संभाग के अधिकारी सुरेश मनवानी ने बताया कि टेंडर रद्द होने के तकनीकी कारणों की जानकारी भोपाल स्थित मुख्यालय से ही दी जा सकती है। लेकिन यह तय है कि परियोजना को रोका नहीं गया है, बल्कि सुधार के साथ इसे दोबारा शुरू किया जाएगा। जल्द ही नया टेंडर जारी किया जाएगा।