हरिहर मिलन में खूब चली हिंगोट…पुलिस उठा ले गई आतिशबाजों को, चेतावनी देकर छोड़ा

उज्जैन। हरिहर मिलन को लेकर आतिशबाजों को तब प्रश्रय मिल गया जब सुप्रीम कोर्ट ने हरिहर मिलन के दौरान आतिशबाजी की स्वीकृति दे दी। कोर्ट से स्वीकृति मिलने के बाद बुधवार गुरुवार की देर रात हुए हरिहर मिलन के दौरान आतिशबाजों ने दीपावली से अधिक पटाखे छोड़े। महाकाल से लेकर गोपाल मंदिर तक माहौल कुछ ऐसा था कि कहीं भी पटाखे बंद होने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
आचार संहिता के चलते पुलिस अलर्ट तो थी, लेकिन आतिशबाजों के आगे पुलिस कुछ बेबस नजर आई। हालांकि जब हिंगोट जैसे पटाखे छूटे तो फिर पुलिस ने सख्ती बरतना शुरू की और देखते ही देखते दर्जन भर से अधिक युवक थाने पहुंचा दिये गये। हरिहर मिलन के दौरान बीती रात महाकाल से लेकर पटनीबाजार और गोपाल मंदिर तक जो अतिशबाजी का क्रम लगभग साढ़े नो बजे बाद शुरू हुआ तो वह मध्यरात्रि तक नहीं थमा। आतिशबाजों ने देवाधिदेव महाकाल का ऐसा स्वागत किया कि पूरा क्षेत्र पटाखों से गुंजायमान रहा।

यह है मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान भोलेनाथ सृष्टि का कार्यभार भगवान विष्णु को सौंपकर कैलाश की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। प्राचीन नगरी उज्जयिनी यानी उज्जैन में इस पर्व को इसी मान्यता के अनुसार मनाया जाता है। इस अवसर पर भगवान भोलेनाथ महाकाल की सुंदर यात्रा गोपाल मंदिर पंहुचती है।

पालकी से भगवान भोलेनाथ उतर कर श्री हरि को तुलसी भेंट करते हैं और श्री हरि उन्हें बदले में बिल्वपत्र देते हैं। इस सुंदर प्रसंग को हरि हर मिलन के नाम से जाना जाता है। वैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन सवारी निकाले जाने की परंपरा है, जो बुंधवार की रात्रि को भी शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए श्री छत्रीचौक स्थित गोपाल मंदिर पर पहुंची। इस अवसर पर यहां भक्तजनों का तांता लग गया। वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवन शिवजी श्रीहरि से खुद मिलने पहुंचे। बुधवार-गुरुवार की मध्यरात्रि को भगवान शिव अर्थात महाकाल ने चार महीने के लिए सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंप दिया और हिमालय पर्वत पर चले गये।

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