पूजा पाठ

पूजा पाठ

गृह शान्ति के लिए विशेष पूजा कराई जाती है

भात पूजा
मंगल ग्रह शिव पुत्र मंगल उग्र अंगारक स्वभाव के हैं । मंगल ग्रह की शांति के लिए ब्रम्हाजी, ऋषियों, मुनियो, देवताओ एवं मनुष्यों ने सर्व प्रथम पंचाम्रत अभिषेक के बाद दही और भात का लेपन किया था । दही और भात दोनो ही पदार्थ ठंडा होता है, जिससे मंगल ग्रह की उग्रता की शांति होती हैं । इसका कारण इनका अति महत्व है । मंगलगृह अंगारक एवं कुजनाम से भी जाने जाते हैं । मेष एवं वृश्चिक राशि के स्वामी है । मंगल ग्रह का वर्ण लाल है ।
महामृत्युंजय जाप
महामृत्युंजय मंत्र – उज्जैन अवंतिका नगरी में कालो के काल महाकाल रहते हैं । महामृत्युंजय का जप महाकाल वन में करने से विशेष प्रकार की उर्जा एवं विशेष प्रकार का आशीर्वाद प्रदान होता है । 84 महादेवो तक का क्षेत्र महाकाल वन कहलाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप कष्ट रोग एवं अकालमृत्यु को टालने के लिए किया जाता है । महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है ।
महामृत्युंजय जप की संख्या सवा लाख होती है।
अच्छि आयु के लिए महामृत्युंजय पूजन निम्न प्रकार से की जाती है ।
महामृत्युंजय पूजन में शिव परिवार पर पंचाम्रत अभिषेक किया जाता है, उसके पश्चात रुद्राभिषेक का अतिमहत्व होता है, जिससे दिर्घ आयु एवं निरोगी आयु प्रदान होती है ।
अर्क/ कुम्भ विवाह
अर्क एवं कुम्भ विवाह – जिनकी जन्म कुंडली में वेदन्या दोष रहता है, उस दोष की निवृत्ति इसलिए कराइ जाती है, क्योंकी उस दोष में दो या दो से अधिक विवाह के योग होते हैं । वेदन्या दोष यदि लड़के की जन्म पत्रिका में कुछ ग्रहो की स्थिति से पाया जाता है तो इसकी निवृत्ति के लिए अर्क विवाह कराकर नवग्रहों की शांति करना होता है, यदि यही दोष लड़की की जन्म पत्रिका में कुछ ग्रहो की स्थिति से पाया जाता है तो इसकी निवृत्ति के लिए कुम्भ विवाह नवग्रहों की शांति करना होता है ।
कालसर्प दोष
जातक की जन्म कुंडली में राहू और केतु के बीच सभी ग्रह आते हैं तो काल सर्प दोष होता है एवं राहु और केतु के बिच 6 ग्रह आ जाए, परंतु एक ग्रह बाहर रहे तो आंशिक काल सर्प दोष होता है । कालसर्प दोष को अत्यंत अशुभ योग माना गया है क्योकि शास्त्र के अनुसार यह योग जिस जातक की कुंडली में होता है उस जातक के कार्यों में रुकावट आना, होते होते कार्य का रुक जाना ।
कालसर्प दोष जन्मकुडली में क्यो आता है ?
कालसर्प दोष जातक की जन्म कुडली में इसलिए आता है, क्योंकि कभी सर्पों को कीसी भी प्रकार की क्षती पंहुची हो या किसी प्रकार से सर्प को जाने अनजाने में मारा गया हो आपके एवं आपके कुल द्वारा ।
यदि कुंडली में कालसर्प दोष रहता है तो पूरे विश्व में सिर्फ दो ही जगह इस दोष की निवृत्ति के लिए उन स्थान पर जाकर पूजन अभिषेक करने से उस दोष की निवृत्ति होती है उन दो स्थानों में से एक स्थान मंगलनाथ मंदिर उज्जैन भी है, जहाँ कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजन अभिषेक एवं सर्पों की स्थापना करने के बाद मोक्ष दायनी क्षिप्रा में विसर्जन किया जाता है ।
कालसर्प दोष निवारण हेतु निम्न पूजा है-
सामान्य कालसर्प दोष पूजा
ग्रह शांति कालसर्प पूजन
राहु केतु के जाप सहित कालसर्प दोष निवारण पूजन