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अभावों से जूझकर मुकाम पाने वाली हिना:घर खर्च चलाने मां घरों में काम करती थीं
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन की कथक नृत्यांगना हिना वासेन किसी पहचान की मोहताज नहीं है। कथक के क्षेत्र में उनका नाम शिद्दत के साथ लिया जाता है। गरीब परिवार में पैदा हुई हिना के लिए सामान्य लड़की से कथक डांसर बनने का सफर आसान नहीं रहा। इस बीच कई बाधाएं आई। सबसे बड़ी बाधा थी गरीबी। बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। हालातों से जूझते हुए हिना नया मुकाम बना चुकी हैं। देश-विदेश में करीब 300 से ज्यादा स्टेज शो कर चुकी हैं।
हिना बताती हैं कि मां सुशीला घराें में झाडू़-पोछा करती। इसी से घर का खर्च चलता। इसके बावजूद मां-पिता ने कोई कमी नहीं होने दी। घर के नाम पर दो छोटे कमरे, जिसमें ठीक से सांस ले पाना भी मुश्किल था। इसी में पली-बढ़ी। बचपन से ही क्लासिकल डांस का शौक था। सब ठीक चल रहा था। इसी बीच पिता सुभाषचंद्र पॉवरलूम फैक्टरी में नौकरी करते हुए हादसे में जान गंवा बैठे। ये बड़ा झटका था। बावजूद इसके जीवन के उतार-चढ़ाव हिना के जज्बे को नहीं डिगा पाए।
कभी पैसे नहीं होते, त्योहारों में घर नहीं जा पाती थी
अभावों से संघर्ष करते हुए हिना ने माधव साइंस कॉलेज से बीएससी (आईटी) की डिग्री हासिल की। बचपन से ही क्लासिकल डांस में रुचि रखने वाली हिना ने 16 साल की उम्र से ही सपनों को साकार करना शुरू कर दिया। दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कथक केंद्र में एडमिशन लिया। वहां लखनऊ घराने के पं. शंभू महराज के शिष्य पं. कृष्णमोहन मिश्र महराज की शिष्या के रूप में कथक नृत्य साधना शुरू की।
पांच साल का कोर्स पूरा करने के बाद राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कथक की प्रस्तुति देनी शुरू की। हिना ने बताया, दिल्ली में रहते हुए कभी-कभी पैसे नहीं होते थे। इस कारण त्योहारों पर घर नहीं जा पाती थी। मां मनोबल टूटने नहीं देती। यही कहती थी, एक दिन सब ठीक हो जाएगा। दिल्ली में खर्च निकालने के लिए ट्यूशन पढ़ाया।
आज देश-विदेश में 300 से अधिक स्टेज शो
हिना ने आज न केवल राष्ट्रीय वरन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कथक नृत्य में अलग पहचान बनाई। मां के सपनों को साकार किया। महज 30 साल की उम्र में आज हिना देश के अलावा साउथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चाइना आदि देशों में करीब 300 से अधिक स्टेज परफाॅर्म कर चुकी हैं।
नृत्यांतर नाम से खोली कथक अकादमी
हिना ने अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए उज्जैन में नृत्यांतर नाम से कथक एकेडमी खोली है। यहां वह बच्चों को कथक की ट्रेनिंग देती हैं।