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कचरे से निकला हरियाली का रास्ता
नगर निगम की इच्छाशक्ति का साकार रूप देखना है तो शहर से 12 किमी दूर गोेंदिया जाना होगा। कुछ सालों पहले इस रास्ते से गुजरना दूभर था। मगर आज कचरे के पहाड़ के बीच पिकनिक बना सकते हैं। निगम ने यहां पीपीपी मॉडल के बूते ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसे देखने के बाद स्वच्छ सर्वेक्षण के फीडबैक में आप निगम के कामों को पूरे अंक देने का मौका नहीं गंवाना चाहेंगे।
यहां नगर निगम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड बनाया है। शहर से निकलने वाले औसत 200 से 217 टन कचरे को रोज यहां पहुंचाया जाता है। यहीं पर कचरे से 30-45 दिन की प्रक्रिया में खाद बनाया जाता है। 36 हेक्टेयर में फैले ट्रेंचिंग ग्राउंड के 5 एकड़ में निगम ने ग्रीन जोन डेवलप किया है। निगम अफसरों का कहना है यहां पर 8 हजार पौधे लगाए थे। इनमें से 6 हजार लहलहा रहे हैं। पहले जहां कचरे का पहाड़ था, वहां अमरूद, आम, जामुन, नीम के पौधे, बांस की क्यारियां हैं।
- 12 किलोमीटर दूर गोेंदिया में ट्रेंचिंग ग्राउंड
- 50 लोगों का स्टाफ दो शिफ्ट में करता है काम
- 36 हेक्टेयर में फैला ट्रेंचिंग ग्राउंड
- 200 से 217 टन कचरे को रोज यहां पहुंचाया जाता
- 5 एकड़ में निगम ने ग्रीन जोन डेवलप किया
कचरे को कम कर बनाया गार्डन
उपायुक्त संजेश गुप्ता ने बताया ट्रेंचिंग ग्राउंड को गार्डन बनाना आसान नहीं था। तीन साल में बड़ा अंतर यह आया है कि पहले वहां प्रवेश करना भी मुश्किल था। हर तरफ बदबू आती थी। अब ग्रीन जोन बन गया है। वहां 8 हजार पौधे लगाए हैं, जिनमें से 6 हजार जीवित हैं।
240 रु. में बेच रहे 50 किलो खाद
रोज 221 टन कचरे को निष्पादित कर 20 टन खाद का उत्पादन होता। खाद की क्वालिटी वैज्ञानिक मानकों के सभी घटकों को पूर्ण करती है। नेशनल फर्टिलाइजर्स तक इस खाद की डिमांड है। यह बाजार में प्रति 50 किलो के पैक में 240 रुपए में भी बेची जा रहा है।