- भस्मआरती में बाबा महाकाल का मावे से किया श्रृंगार, मखाने की माला पहनाई, खोली गई तीसरी आंख
- चंद्र और बिलपत्र लगाकर भस्म आरती में सजे बाबा महाकाल, जटाधारी स्वरूप में किया श्रृंगार
- भोपाल सांसद ने बैरसिया में स्टेशन बनाने की सदन में उठाई मांग, बोले- चुनाव से पहले किया था वादा
- बाबा महाकाल की सवारी की शोभा बढ़ाएगा 350 जवानों का पुलिस बैंड, 1000 कलाकार डमरू से देंगे प्रस्तुति
- राष्ट्रीय कालिदास चित्र और मूर्तिकला प्रतियोगिता-2021 के पुरस्कार घोषित, इन्हें दिया जाएगा
कोरोना संक्रमण:जितने नए मरीज, उतने ठीक भी हो रहे, 7 दिन में 1841 घर पहुंचे
कोरोना की दूसरी लहर में यह अच्छी खबर है कि शहर और जिले में कोरोना बैलेंस होने लगा है। यानी जितने मरीज पॉजिटिव आ रहे हैं, उतने ही मरीज स्वस्थ भी हो रहे हैं। सात दिनों में 1841 मरीज स्वस्थ होकर घर पहुंचे। लगातार रिकवरी बढ़ने से ग्राफ में सुधार की उम्मीद बनी हुई है। संक्रमित 7 से 10 दिनों में स्वस्थ हो रहे हैं और गंभीर मरीजों को स्वस्थ होने में 20 से 22 दिन लग रहे है। संक्रमित मरीजों का आंकड़ा अब स्थिर होने लगा है। 26 दिन के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो मरीजों की संख्या लगभग एक जैसी आ रही है।
1 अप्रैल को 85 मरीज पॉजिटिव पाए गए तो उसके बाद की तारीखों में भी इसके आसपास ही मरीज पाए गए। इसी तरह 22 से 26 अप्रैल तक भी मरीजों की संख्या समान ही रही। साथ ही जितने मरीज पॉजिटिव पाए गए, उतने ही हर रोज डिस्चार्ज भी हो रहे हैं। कोविड विशेषज्ञ डॉ. सोनाली अग्रवाल का मानना है कि सबसे खराब समय बीत गया है, अब वापस ग्राफ नीचे आने और सुधार की उम्मीद है। कोविड हॉस्पिटल में व्यवस्थाएं बेहतर होने से भी मरीजों की रिकवरी बढ़ी है। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कोविड नोडल अधिकारी डॉ. सुधाकर वैद्य का कहना है कि 70 से 85 प्रतिशत मरीज 100 प्रतिशत तक स्वस्थ हो रहे हैं। 5 से 10 प्रतिशत मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार में समय लग रहा है।
15 से 20 मरीज अति गंभीरण…
हॉस्पिटल पहुंच रहे मरीजों में 15 से 20 प्रतिशत ऐसे हैं जो दो-तीन दिन में अति गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। उनकी रिकवरी में समय लगता है या उनकी जान का खतरा बना रहा है। इसकी बड़ी वजह मरीज के समय पर हॉस्पिटल नहीं पहुंचने और कोविड टेस्ट नहीं करवाना है।
इम्युनिटी डेवलप होने लगी…
इम्युनिटी डेवलप हो गई है, वैक्सीन लगने के बाद भी मरीजों में जल्द सुधार हो रहा है। फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स में से अधिकांश को टीके लग चुके हैं। ऐसे में उन पर संक्रमण का ज्यादा असर नहीं हो रहा है।
एक सदस्य संक्रमित होने पर परिवार पर खतरा...
कोरोना की दूसरी लहर में यह देखने में आ रहा है कि घर में एक सदस्य के संक्रमित होने के बाद पूरे परिवार पर भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। कोविड हॉस्पिटल में पहुंच रहे अधिकांश मरीज ऐसे ही पाए जा रहे हैं।