कोरोना संक्रमित की घर पर मौत:अस्पताल से शव का कवर दे दिया,

कोरोना पॉजिटिव के शव के अंतिम संस्कार की गाइड लाइन के दर्दनाक मखौल की यह कहानी है। बुधवार सुबह जिस समय कलेक्टर आशीष सिंह माधवनगर अस्पताल में पीपीई किट पहनकर व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे थे, उस समय इंदौर रोड स्थित आकांक्षा परिसर में दो बेटे अपने कोरोना पॉजिटिव पिता के शव को बिना पीपीई किट पहने अस्पताल से दिए कवर में पैक कर रहे थे। जबकि गाइड लाइन के अनुसार पॉजिटिव मरीज की मृत्यु पर शव को किसी को भी हाथ लगाने की अनुमति नहीं है। बेटों ने ही शव को कवर में पैक किया और त्रिवेणी स्थित सीएनजी शवदाह गृह ले जाकर अंतिम संस्कार किया।

उनकी मदद के लिए अस्पताल, नगर निगम, पुलिस, कंट्रोल रूम कोई तैयार नहीं हुआ। गमगीन परिवार ने अंतिम संस्कार के बाद कोरोना कंट्रोल रूम को परिवार के शेष 7 सदस्यों का कोरोना टेस्ट लेने के लिए सूचना दी लेकिन शाम तक भी टीम नहीं आई। इंदौर रोड स्थित आकांक्षा परिसर निवासी जनरल स्टोर चलाने वाले अनूप शिवपुरिया (55) को रविवार को बुखार आने पर टेस्ट कराया था। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसलिए पूरे परिवार को होम क्वारेंटाइन कर दिया था।

पुलिस ने कहा- हमारा कोई काम नहीं, निगमकर्मी बोले- शव पैक हो जाएगा तो हमारा वाहन आकर ले जाएगा

मं गलवार रात 3 बजे तक जाग रहे थे। इसके बाद पिताजी सो गए तो हम भी बिस्तर में चले गए। सुबह 7 बजे उनके शरीर में हलचल नहीं दिखी। चेक किया तो हार्ट बीट नहीं आ रही थी। कोरोना कंट्रोल रूम को सूचना दी। वहां से एक मैडम आई। उन्होंने चैक करके बताया कि मृत्यु हो चुकी है। मैडम ने थाने पर सूचना देने के लिए कहा। हमने थाने पर सूचना दी। एक परिचित के माध्यम से जितेंद्र परमार नामक पुलिसकर्मी आए। उन्होंने कहा हमारा कोई काम ही नहीं है। नगर निगम और अस्पताल का काम है। तब तक 10 बज चुके थे। निगम कंट्रोल रूम को फोन लगाए। वहां से कोई जवाब नहीं मिला।

निगम वालों का कहना था कि शव पैक हो जाएगा, तब हमारा वाहन आकर ले जाएगा। तब माधवनगर अस्पताल दो लोगों को भेजा गया। वहां डॉ. एचपी सोनानिया से बात की तो उन्होंने आनंद नामक व्यक्ति के पास भेजा। आनंद ने कहा- आप शव पैक करने का कवर ले जाओ और स्वयं ही पैक कर अंतिम संस्कार कर दो। कवर लेकर आए। दोनों बेटे विशाल और पराश ने पिता के शव को कवर किया। निगम को सूचना दी तो बोले- दो जगह के शव के बाद आएंगे। 12.15 बजे शव वाहन आया। उनसे केवल एक लड़का था जिसने पीपीई किट पहनी थी। कोई देखने वाला नहीं था कि शव ठीक से पैक हुआ या नहीं। इसके बाद त्रिवेणी के सीएनजी शवदाह गृह ले जाकर अंतिम संस्कार किया।

हर कोई कह रहा था हमारा काम नहीं

हम बेटे थे तो हमने पिता के कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद शव कवर में पैक किया, अंतिम संस्कार भी कर आए। पर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी किस तरह निभा रहा है, उस पर गौर करने की जरूरत है। प्रशासन ने तो हमें राम भरोसे छोड़ दिया। अब हम परिवार के 5 बड़े और 2 छोटे सदस्यों का टेस्ट कराना चाहते हैं। इसकी सूचना भी कोरोना कंट्रोल रूम को दे दी है लेकिन टीम नहीं आ रही। गाइड लाइन तो कहती है- कोरोना पॉजिटिव के शव को कोई हाथ नहीं लगा सकता, प्रशासन की निगरानी में अंतिम संस्कार किया जाता है लेकिन इसकी हकीकत आज सामने आ गई।

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