चांदी की पालकी में निकलेगी काल भैरव की सवारी:सिंधिया परिवार की पगड़ी पहनेंगे, केंद्रीय जेल के बंदी करेंगे पूजन

डोल ग्यारस पर भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थित श्री काल भैरव की सवारी मंगलवार को मंदिर परिसर से निकलेगी। भगवान काल भैरव चांदी की नई पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण के बाद वापस मंदिर लौटेंगे। सवारी निकलने के पहले बाबा काल भैरव को सिंधिया परिवार की पगड़ी धारण कराई जाएगी।

मंगलवार को भाद्रपद शुक्ल एकादशी को काल भैरव मंदिर पर विभिन्न धार्मिक आयोजन सुबह से शुरू हुए। सुबह भगवान काल भैरव का पंचामृत से अभिषेक कर भैरव सहत्र नामावली का पाठ किया गया। भगवान का दिव्य श्रृंगार कर छप्पन भोग लगाया गया। सांय 4 बजे मंदिर परिसर में भगवान महाकाल के सेनापति का कलेक्टर आशीष सिंह पूजन करेंगे । इस दौरान भगवान काल भैरव के मुखौटे को चांदी की पालकी में विराजित कर आरती की जाएगी । इसके पश्चात कलेक्टर ने पालकी को कंधा लगाकर नगर भ्रमण के लिए रवाना करेंगे। बाबा की सवारी के साथ ढोल, बैंड, झांकी, अखाड़े, ध्वज, हाथी, घोड़े, बग्घी के साथ निकलेगी। गौरतलब है कि बाबा काल भैरव की सवारी के लिए एक भक्त द्वारा पिछले दिनों ही करीब 10 लाख की लागत से 16 किलो चांदी लगाकर पालकी तैयार करवाई है।

सिंधिया परिवार की पगड़ी धारण करेंगे काल भैरव

सवारी निकलने के पहले सोने-चांदी के आभूषण से भगवान काल भैरव सजेंगे और परंपरा अनुसार बाबा को सिंधिया परिवार की ओर से पगड़ी अर्पित की जाएगी। वर्षो से सिंधिया परिवार द्वारा बाबा महाकाल के सेनापति के लिए पगड़ी पहुचाने की पंरपरा रही है।

जेल गेट पर होगा सवारी का पूजन

बाबा काल भैरव की सवारी मंदिर से रवाना होकर जेल चौराहे पर पहुंचेगी। यहां जेल प्रशासन द्वारा पूजन किया जाएगा। इसके पश्चात नया बाजार, भैरवगढ़ नाका, माणक चौक, महेंद्र मार्ग होते हुए सिद्धवट पहुंचेगी। यहां पर मां शिप्रा व भगवान सिद्धनाथ महाराज का पूजन किया जाएगा। वापसी में सवारी बृजपुरा होते हुए जेल तिराहा से काल भैरव मंदिर आकर समाप्त होगी। समापन में भगवान की आरती की जाएगी।

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