मध्याह्न भोजन से वंचित:आठ माह से न मध्याह्न भोजन की राशि मिल रही और न खाद्यान्न मिला, घर से खाना लाकर खा रहे बच्चे

  • स्थान- शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय गंगेड़ी।
  • समय- दोपहर 12.30 बजे।

20 मिनट बाद स्कूल में भोजन अवकाश होने वाला है। इसके पहले ही पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में बैठे बच्चे टकटकी लगाए कभी स्कूल के किचन की ओर देख रहे हैं, तो कभी स्कूल के गेट की ओर। भूखे बैठे इन बच्चों को आस है किचन से खाना तैयार होने की आवाज आएगी या स्कूल के गेट पर राशन की सामग्री लेकर कोई गाड़ी अंदर आएगी लेकिन किचन सूना पड़ा हुआ है। भोजन अवकाश होते ही कुछ बच्चे घर से लाए टिफिन निकाल लेते हैं। किसी के टिफिन में सूखी रोटी और सेंव हैं तो किसी के टिफिन में रोटी और चटनी।

मध्याह्न भोजन की यह हकीकत है एक शाला, एक परिसर के अंतर्गत शासकीय हाईस्कूल गंगेड़ी में संचालित होने वाले शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय गंगेड़ी की। खुशबू स्व-सहायता समूह के माध्यम से इस स्कूल में बच्चों को मध्याह्न भोजन दिया जाता है लेकिन अप्रैल 2022 से लेकर अब तक इस स्कूल के विद्यार्थियों के लिए न तो खाद्यान्न मिला है और न ही मध्याह्न भोजन की राशि।

उधार लेकर भोजन करवाया, उधारी बढ़ने से बंद किया

खुशबू स्व-सहायता समूह की संचालक सुमनबाई विजय बागवान ने बताया प्रत्येक विद्यार्थी प्रतिदिन के मान से 150 ग्राम खाद्यान्न (गेहूं व चावल) और राशि (प्राथमिक स्तर के विद्यार्थी के लिए 5.75 रुपए और माध्यमिक स्तर के विद्यार्थी के लिए 7.40 रुपए) की राशि मिलती है। अप्रैल से हमें खाद्यान्न और राशि नहीं मिली। उधार लेकर अब तक प्राथमिक विद्यालय के 66 और माध्यमिक विद्यालय के 67, इस तरह कुल 133 बच्चों को भोजन उपलब्ध करवा रहे थे लेकिन अब उधारी की राशि भी एक लाख रुपए से ऊपर हो चुकी है। हमारी हिम्मत अब और कर्ज लेने की नहीं है। इसकी वजह से स्व-सहायता समूह ने भोजन अब पूरी तरह बंद कर दिया है। 20 नवंबर से बच्चे अब या तो खुद घर से टिफिन लेकर आ रहे हैं या फिर भोजन अवकाश में घर जाकर भोजन करने पर मजबूर है। ऐसी ही स्थिति शासकीय हाईस्कूल एरवास में भी है। यहां भी कई महीनों से मध्याह्न भोजन की राशि नहीं मिली है।

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