महाकाल सवारी में डीजे प्रतिबंधित:केले, चॉकलेट, खाद्य सामग्री बांटने पर भी रोक,नाव में सवार होकर जाएंगे पुजारी

उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर से श्रावण मास के पहले सोमवार 18 जुलाई को भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी नगर भ्रमण के लिए शाम 4 बजे मंदिर परिसर से रवाना होगी। कलेक्टर ने सवारी में डीजे साउंड को पूरी तरह प्रतिबंधित किया है। साथ ही श्रद्धालुओं द्वारा सवारी के दौरान खाद्य सामग्री वितरण पर भी रोक लगाई गई है। प्रति सोमवार को शाम को साढ़े तीन घंटे प्रोटोकाल व्यवस्था बंद रखने के निर्देश दिए है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की सवारी १८ जुलाई सोमवार को शाम चार बजे पूजन के पश्चात भ्रमण के लिए रवाना होगी। सवारी की व्यवस्थाओं को लेकर कलेक्टर आशीष सिंह ने समिति सदस्यों, पंडे-पुजारियों, अधिकारियों के साथ बैठक में चर्चा कर सवारी की व्यवस्थाएं तय की। कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा है कि महाकाल सवारी में डीजे का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से आव्हान किया कि वे सवारी के आगे-आगे केले, नारियल, चॉकलेट एवं अन्य खाद्य सामग्री का वितरण नहीं करें। दो साल के अंतराल के बाद सवारी में पुन: रस्सा पार्टीं को तैनात किया जा रहा है। बैठक में नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता, एडीएम संतोष टैगोर, एएसपी डॉ. इंद्रजीत बाकलवार, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़, मंदिर समिति सदस्य राजेन्द्र गुरू, राम पुजारी, पुजारियों के प्रतिनिधियों में आशीष पुजारी एवं अशोक पुजारी व विजयशंकर शर्मा मौजूद थे।

प्रति सोमवार प्रोटोकाल व्यवस्था बंद

श्रावण-भादौ मास के प्रत्येक सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकलती है। सवारी की तैयारी के दौरान प्रोटोकाल व्यवस्था लागू होने से अव्यवस्था होती है। इसलिए कलेक्टर सिंह ने प्रत्येक सोमवार को सवारी निकलने के करण दोपहर 2.30 बजे से 4.30 बजे तक एवं शाम 6 से 7.30 बजे तक प्रोटोकाल व्यवस्था बन्द रहेगी।

नाव में सवार होकर जाएंगे पुजारी

श्री महाकालेश्वर की सवारी के रामघाट पहुंचने पर पूजन अर्चन किया जाता है। इस बार मंदिर के पुजारी रामघाट पर होने वाले पालकी पूजन के लिए झालरिया मठ से नाव में सवार होकर रामघाट पहुंचेंगे। हालांकि यह व्यवस्था पहली बार की जा रही है।

सभा मण्डप में भी सीमित होगी संख्या

मंदिर के सभा मण्डप में सवारी निकलने के पहले भगवान महाकाल का पूजन होता है। कलेक्टर सिंह ने कहा कि भगवान के पूजन दौरान संख्या सीमित की जाए। साथ ही पालकी द्वार के आगे भी संख्या को सीमित रखा जाये। यहां पर नागपंचमी के लिये बनाये जा रहे अस्थाई पुल के पिलर भी खड़े किये जा रहे हैं। इसी तरह शीघ्र दर्शन की लाइन के लिए अलग से व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं।

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