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श्राद्ध पक्ष में श्रद्धलुओं की भारी भीड़,ऑनलाइन तर्पण भी:पंडित का दावा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को तर्पण से मिलेगी जीत
शिप्रा नदी किनारे रामघाट और सिद्धवट घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने पितृ का तर्पण करने पहुंच रहे है। मान्यता है की उज्जैन में किया गया तर्पण गया जी जितना फल देता है। देश भर से लोग शहर में तर्पण कराने पहुंच रहे है। यहाँ आने वाले लोग सिर्फ अपना और शहर का नाम बताकर अपनी पीढ़ियों का पता पंडितो से लगाते है और अपने पूर्वजो का तर्पण करते है। इस आधुनिक युग में भी बिना कम्प्यूटर के 150 वर्ष पुराने पोथी पर काम कर रहे पंडित चुटकियो में श्रद्धालु के परिवार का लेखा जोखा सामने रख देते है। कई श्रद्धालु उज्जैन के सिद्धवट और रामघाट पर नहीं आ पा रहे है तो वे अपने घर बैठे सोशल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन भी तर्पण कर रहे है।
चुनावी माहौल में बीजेपी ने अब तक 80 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर अपना उम्मीदवार बना दिया है, मान्यता है श्राद्ध पक्ष में नया कार्य नहीं किया जाता है। पूजन पाठ कराने वाले पंडित सोनू पंड्या ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में प्रत्याशियों को अपने पितृरों के निमित्त पूजन पाठ करवाना चाहिए जिससे उन्हें सफलता मिलेंगी।
तर्पण का महत्व-
29 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हुई है जो की आगामी 14 अक्टूबर तक रहेगा,उज्जैन में पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध के लिए अपना महत्व है, मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध भी उज्जैन में किया था। पितृ आत्माओं की शांति व मुक्ति का पर्व श्राद्ध पक्ष पर गया कोटा मंदिर में हजारों लोग पूर्वजों के निमित्त जल-दूध से तर्पण और पिंडदान कर रहे है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य इस दौरान श्राद्ध तृप्त पितरों की आत्माओं को मुक्ति का मार्ग देता है। धर्म शास्त्रों में अवंतिका नगरी के नाम से प्रख्यात उज्जैन शहर में श्राद्ध पक्ष के आरंभ होते ही देश के कोने कोने से लोगो का आना शुरू हो चूका है।
सिद्धवट घाट पर लोग प्राचीन वट वृक्ष का पूजन अर्चन कर पितृ शांति के लिए प्रार्थना करते है मान्यता है की वट वृक्ष देश भर चार जगह पर स्थित है इसमें से एक उज्जैन के सिद्धवट घाट पर है जो की माता पार्वती ने लगाया था इसक वर्णन स्कंन्द पुराण में भी है। सिद्धवट पर पितरो के निमित्त कर्मकांड व तर्पण का यह कार्य 16 दिनों तक चलता रहेगा। पितृ मोक्ष हेतु श्रद्धालु इन 16 दिनों की विभिन्न तिथियों में ब्राह्मण को भोजन दान, गाय दान, साथ ही गाय व कौवे को भोजन कराते हे। मान्यता हे की उज्जैन में श्राद्ध करने से पितरो को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती हे।
पंडित सोनू पंड्या ने बताया कि उज्जैन अवंतिका नगरी बाबा महाकाल के नाम से जानी जाती हैं. सतयुग से ही तर्पण श्राद्ध के लिए यह जगह जानी जाती है जब उनकी सेना भूत प्रेत पिशाच ने उनसे अपने मुक्ति का स्थल मांगा था तो उनके आशीष से मुक्ति का स्थल सिद्धवट क्षेत्र दिया तब से सिद्धवट को भूत प्रेत पिशाच को मुक्ति के प्रेत शिला के रूप में जाना जाता है। वनवास के दौरान स्कंद पुराण के अनुसार भगवान राम सीता और लक्ष्मण जी के साथ में इस नगर से जब गुजरते तो उन्होंने अपने मृत पिता दशरथ जी के लिए यहां पर तर्पण श्राद्ध किया था। इसी कारण से पूरे देश भर से श्रद्धालु जन उज्जैन में अवंतिका नगरी में अपने पूर्वजों के लिए आते हैं।
ऑनलाइन तर्पण-
कोरोना काल में जब लोग घर में लॉकडाउन की वजह से बंद थे उस दौरान पंडितो ने ऑनलाइन तर्पण का चलन शुरू किया। इसके बाद से अब कई लोग देश विदेश से ऑनलाइन तर्पण करवा रहे है। जिसमे सिंगापुर,दुबई सहित भारत में आसाम और अन्य प्रदेशों के लोग सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़कर घर बैठे तर्पण कर रहे है। फेस बुक,व्हाट्सप के माध्यम से कई परिवार ने ऑनलाइन तर्पण बुक कराया है। श्रद्धालु दान दक्षिणा भी ऑनलाइन के जरिये पंडित के खाते में राशि भेज रहे है।
150 वर्ष पुराना रिकॉर्ड बिना कम्प्यूटर के पल भर में सामने-
पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध की विधि में कुल के नाम के साथ पूर्वजों के नाम का उल्लेख का विशेष महत्व है। आम लोगों के कई पीढ़ी और पूर्वजों के नाम याद रखना आसान नहीं होता है। इसमें तीर्थ पुरोहितों के पास उपलब्ध पौथी बड़ी सहायक होती है। उज्जैन के अधिकांश तीर्थ पुरोहितों के पास पूर्व के अनेक परिवार के पूर्वजों के नामों की पोथी बनी हुई है। पंडित सोनू पंड्या ने बताया कि 150 साल पुराना रिकॉर्ड सभी पंडितो के पास है कोई भी कम्प्यूटर नहीं चलाता है। इस युग में भी कुछ ही पल में बही खाते में से पीढ़ीयों का हिसाब सामने रख देते है। पंडित दिलीप गुरु के अनुसार 150 वर्ष पुराना रिकॉर्ड रखने के लिए किसी भी कम्प्यूटर का सहारा नहीं लिया जाता है सिर्फ पोथी में इंडेक्स, समाज का नाम, गाँव शहर का नाम या गोत्र बताने से ही पीढ़ी में कौन कब आया था और किसका तर्पण किया गया था ये सब चुटकियो में पता चल जाता है। यही नहीं वर्षो पुराने इस बही खाते को तो कोर्ट भी मान्य करता है।कई बार फैसले भी बही खाते के आधार पर हुए है।
300 पुजारी करवाते है पूजन –
उज्जैन शहर में 12 पण्डे प्रमुख है जो श्राद्ध पक्ष की पूजन करवाते है जिसमें तर्पण, विष्णु पूजा , देव पूजा, ऋषि मनुष्य और पितृ तर्पण आदि की पूजन होता है इसके अलावा 300 से अधिक पंडित इन दिनों में रामघाट, सिद्धवट घाट,गया कोठा ,सहित अन्य जगहों पर पूजन करवाते है।