अनियमितता में रविवार की छुट्टी पर ध्यान नहीं

अनियमितता करने वालों को दिन क्या है इससे कोई मतलब नहीं। रविवार की छुट्टी पर ध्यान नहीं दिया और हजारों की खरीदी कर ली। जांच में दस्तावेजों का परीक्षण हुआ तो मसला सामने आ गया। जिला चिकित्सालय में दवाई खरीदी में धांधली हुई हैं।

उज्जैन. जिला चिकित्सालय में एक वर्ष पहले हुई दवा खरीदी में अनियमितता की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। खास बात यह कि रविवार को अवकाश के दिन भी हजारों रुपए की दवा खरीदी गई। इस मामले में लोकायुक्त पहले ही जांच के लिए जानकारी मांग चुका हैं।
जिला चिकित्सालय स्टोर विभाग द्वारा वित्त वर्ष 2018,2019 में करीब एक वर्ष पहले राज्य मद और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मद के अंतर्गत स्थानीय स्तर पर दवा खरीदी की गई थी। इसमें 10 अगस्त 2018 को 6990 रुपए , 20 दिसंबर 2018 को 8880 रुपए, 30 दिसंबर 2018 को 65950 रुपए और 30 दिसंबर 2018 को ही 35500 रुपए की दवाई खरीदी के ऑर्डर जारी किए गए। इनमें 20 दिसंबर और 30 दिसंबर 2018 की खरीदी पर सिविल सर्जन के तौर पर डॉ.पीएन वर्मा के हस्ताक्षर हैं, जबकि इस अवधि में जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन का दायित्व डॉ.राजू निदारिया के पास था। मामले में डॉ वर्मा ने साफ कहा कि ऑर्डर पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। यह हस्ताक्षर फर्जी हो सकते हैं। वहीं डॉ राजू निदारिया लिखित में दे चुके हैं कि दवाई की खरीदी उनके कार्यकाल की नहीं हैं। इसके अलावा उस अवधि के दौरान डॉ वर्मा के पास सिविल सर्जन का दायित्व भी नहीं था। इस मामले की शिकायतकर्ता पराग पांचाल के आवेदन पर लोकायुक्त के साथ स्थानीय स्तर पर जांच प्रारंभ हो गई है। लोकायुक्त भोपाल ने दो चिकित्सकों के साथ अन्य दो कर्मचारियों को पत्र लिखकर जवाब मांगा है। वहीं मामले की स्थानीय स्तर जांच प्रारंभ हो गई है।

 

बयान दर्ज हुए

जिला चिकित्सालय की स्टोर द्वारा दवाई खरीदी के मामले में गुरुवार को स्थानीय स्तर पर भी जांच शुरू की गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के आदेश पर इस मामले की जांच के लिए जितेंद्र शर्मा चिकित्सा अधिकारी, महेश शिवानानी लेखापाल मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जांच शुरू की गई है। जांच के लिए डॉ पीएन वर्मा, डॉ राजू निदारिया, सिविल सर्जन कार्यालय आवक-जावक शाखा कर्मचारी और शिकायतकर्ता पराग पांचाल को बुलाया गया था। डॉ राजू निदारिया के अलावा सभी ने अपने बयान और जानकारी से जांच समिति को उपलब्ध तथ्यों से अवगत कराया।

 

अवकाश के दिन ऑर्डर कैसे?

स्थानीय स्तर पर जांच में सबसे महत्वपूर्ण चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि करीब एक लाख रुपए की दवाई रविवार को खरीदी गई। रविवार को अवकाश पर सीएचएमओ और सिविल सर्जन कार्यालय बंद रहता है। इस दौरान सिविल सर्जन के हस्ताक्षर के साथ ऑर्डर के आवक-जावक नंबर भी हैं। जांच समिति द्वारा दस्तावेजों के परीक्षण और अवलोकन में पाया गया कि 30 दिसंबर 2018 को 65950 रु.और 30 दिसंबर 2018 को ही 35500 रुपए की दवाई खरीदी के ऑर्डर जारी किए गए। इस दिन रविवार था। एेसी क्या आवश्यकता थी कि जो रविवार को अवकाश के दिन ऑर्डर जारी करने के साथ ऑर्डर को आवक-जावक में दर्ज करना पड़ा। इस दिन दो अलग-अलग ऑडर्स पर दवाई खरीदी की गई है। इस पर पीएन वर्मा के हस्ताक्षर हैं। डॉ वर्मा का कहना खरीदी के समय वे सिविल सर्जन नहीं थे, तो मेरे हस्ताक्षर कैसे हो गए। डॉ वर्मा ने शंका जाहिर की है कि उनसे धोखे से हस्ताक्षर कराए हैं या फिर फर्जी हस्ताक्षर भी हो सकते हैं।

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