अस्पतालों में नहीं मिला रहा इलाज:माधवनगर अस्पताल गेट पर लेता रहा सांसें, एक दिन बाद आने दिया अंदर

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए शहर में चिकित्सा संसाधन कम पड़ रहे हैं और चिकित्सीय स्टाफ की संवेदनाएं भी शून्य होती जा रही हैं। यही वजह है कि शहर के अस्पतालों के बाहर अब जिंदगी और मौत के बीच झूलते मरीजों के इंतजार करने वाले दृश्य दिखाई देने लगे हैं। ऑक्सीजन और आईसीयू की जरूरत वाले मरीजों को जहां निजी अस्पताल बेड उपलब्ध न होने की बात कहकर भर्ती नहीं कर रहे हैं तो वहीं शासकीय अस्पताल माधव नगर में भी मरीजों को भर्ती के लिए 10-10 घंटे का वक्त लग रहा है।

सिंधी कॉलोनी निवासी गोकुल दासवानी कोरोना पॉजिटिव हैं। रविवार रात 11 बजे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई तो बेटा लव उन्हें लेकर पहले एस एस, पाटीदार फिर अपोलो हॉस्पिटल में लेकर गया, लेकिन सभी ने बेड खाली न होने की बात कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया। लव ने बताया कि एक-दो अस्पतालों को फोन भी लगाया, लेकिन सभी जगह से बेड भरने की जानकारी दी गई। सोमवार सुबह 11 बजे वे माधव नगर पहुंचे। यहां भी एक दिन के इंतजार के बाद उनके बड़े पापा को अस्पताल के अंदर तो किया गया लेकिन अस्पताल परिसर के गेट पर ही उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही है।

शहर के निजी 5 अस्पतालों ने मरीज नरेंद्र को भर्ती करने से मना कर दिया था। आज सुबह मरीज नरेंद्र को उनके बेटे सोनू आरडी गार्डी अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन यहां भी बार-बार डॉक्टर आकर उनका ऑक्सीजन लेवल चेक कर रहे है। सोनू ने बताया कि फिलहाल अभी तक हमें किसी ने मरीज को भर्ती नहीं करने जैसी कोई बात भी नहीं की है। इसलिए एम्बुलेन्स में ही इंतजार कर रहे है।

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