आरक्षण के फेर में दो भागों में बंट गया पंचायत चुनाव

पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन का आखरी दिन

अफसर, उम्मीदवार और नेता दोनों उलझन में…

उज्जैन। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों की चुनाव प्रक्रिया रोक दी है। इससे चुनाव की चलती प्रक्रिया के बीच ग्राम, जनपद और जिला पंचायत का चुनाव दो भागों में बंट गया है। इससे उम्मीदवार तो उलझन में पड़े ही हैं, चुनावी प्रक्रिया में भाग ले रहे अधिकारी और कर्मचारी भी असमंजस में हैं। पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों के लिए चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों के नामांकन न लेकर उनको लौटाया जा रहा है।

त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन में हर ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत में अनारक्षित, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला वर्ग के लिए आरक्षित पदों का चुनाव तो हो जाएगा, लेकिन पिछड़ा वर्ग की सीटों पर चुनाव रोका गया है। इससे ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत में अजीबोगरीब स्थिति बनने वाली है।

जानकारों का कहना है कि उज्जैन जिला पंचायत के कुल पदों में से अब ओबीसी के तीन पदों पर चुनाव नहीं होगा। इसी तरह जनपद पंचायतों में भी ओबीसी आरक्षित पदों पर चुनाव नहीं होगा। पंच के भी ओबीसी के लिए आरक्षित पदों पर यही स्थिति बनेगी। इस तरह जिला पंचायत और हर जनपद में चुनाव होने के बावजूद उसका कोरम पूरा नहीं हो पाएगा, क्योंकि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें खाली ही रह जाएंगी। इससे हर पंचायत संस्था का गठन नहीं हो पाएगा। एक तो पहले ही सरकार पांच के बजाय सात साल बाद चुनाव करवा रही है, वह भी आधा-अधूरा और उलझन भरा चुनाव हो रहा है। ग्राम पंचायत जैसी संवैधानिक संस्था को भी सरकार निर्णय लेने के अधिकार से वंचित कर रही है। इधर त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन जमा करने का अंतिम दिन है।

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