उज्जैन का निगम:हर साल ड्रेनेज पर 5 करोड़ रुपए खर्च फिर भी बारिश में डूबता है शहर

देवासरोड से लगी शिवधाम कॉलोनी में हर बारिश में पानी भर जाता है। 2019 में जब ज्यादा बारिश हो गई तो कॉलोनी में कई दिन तक पानी नहीं निकला। कॉलोनीवासी नगर निगम और जिला प्रशासन के खिलाफ खड़े हो गए। काफी जद्दोजहद के बाद फौरी तौर पर बारिश का पानी निकालने का इंतजाम हुआ। तात्कालिक समस्या से निजात मिली तो निगम ने राहत की सांस ली। इसके बाद यहां बारिश का पानी निकालने के लिए अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ। निगम ने सड़क बनाने की शुरुआत की थी लेकिन मटेरियल पड़ा है, काम बंद है।

यह कहानी केवल शिवधाम की ही नहीं, शहर के 20 से ज्यादा ऐसे क्षेत्रों की है जहां हर बारिश में पानी भर जाता है। इसके बाद घंटों वहां यातायात में परेशानी आती है। कई जगह घरों में पानी घुसने से रहवासी पानी निकालने में जुटे रहते हैं। घरों का सामान खराब हो जाता है। इस बारिश में भी वहां यही नजारे दिखाई देंगे। कहने को तो निगम हर साल औसत 5 करोड़ रुपए ड्रेनेज सिस्टम पर खर्च करता है। कहीं नाले बनाए जाते हैं तो कहीं सुधारे जाते हैं। नालों की सफाई भी इसमें शामिल है।

बावजूद स्थिति जस की तस है। पिछली बारिश में भी इन क्षेत्रों में पानी भर गया था। यहां से रहवासियों को बारिश में जलभराव से जूझने की आदत पड़ गई है, क्योंकि बारिश में तात्कालिक रूप से निगम पानी निकालने के बाद स्थायी समाधान पर ध्यान नहीं दे पाता। भास्कर टीम जब इन जलभराव वाले इलाकों में पहुंची तो रहवासियों का बहुत ही निराशाजनक जवाब था।

उनका मानना है कि सालों से समस्या भुगत रहे हैं, कोई हल नहीं निकलता। बारिश के कुछ दिन की परेशानी रहती है। शिवधाम के चंद्रेश तंवर कहते हैं- निगम को इस बार भी पहले से याद दिला रहे हैं लेकिन अब तक अफसरों ने ध्यान नहीं दिया है। यदि तेज बारिश हो गई तो फिर समस्या आएगी।

स्मार्ट सिटी ने महाकाल क्षेत्र के लिए प्रोजेक्ट बनाया, शहर के लिए भी जरूरी

बारिश में मिले आश्वासन कभी पूरे नहीं किए
शहर में सबसे ज्यादा मकान नलिया बाखल में डूबते हैं। रहवासी शिव प्रजापत यहां दुकान चलाते हैं। अपनी दुकान से उतरकर उन्होंने बताया कि बारिश हुई तो दुकान कहां तक डूब जाती है। रहवासी मुकेश प्रजापत कहते हैं कि तेज बारिश में घरों में पानी घुसने की समस्या सालों पुरानी है। इसका हल नहीं होता। इसलिए लोग घरों को 5 फीट ऊंचाई पर बना रहे हैं। अधिकांश लोगों ने सड़क से 4 से 5 फीट ऊंचाई लेकर मकान बना लिए हैं। इस बारिश में भी यहां पानी भरेगा, क्योंकि बीती बारिश से अब तक यहां सुधार का कोई काम नहीं हुआ है। जबकि हर बारिश के बाद निगम अधिकारी आश्वासन दे जाते हैं, जो कभी पूरे नहीं हुए।

डूब वाले इलाकाें की समस्या वहीं और निगम की बदइंतजामी भी

डूब क्षेत्र: ये हैं इलाके
चामुंडा चौराहा, तीन बत्ती, एटलस चौराहा, केडी गेट, नई सड़क, नीलगंगा हनुमान नाका, बेगमबाग कच्ची बस्ती, गदा पुलिया, छोटी कमल कॉलोनी, दुर्गा कॉलोनी, जूना सोमवारिया, सुभाष नगर, एकता नगर, शांति नगर, इंदिरा नगर, सूरज नगर, यादव नगर, ढांचा भवन, नलिया बाखल जहां पानी भरता है।

समस्या: इस बार क्यों

  • पिछली बार जहां पानी भरा था, वहां सुधार नहीं हुआ।
  • बड़े नालों की सफाई पूरी तरह नहीं की गई।
  • कॉलोनियों, बस्तियों में भी नाली-गटरें साफ नहीं हैं।
  • सीवरेज लाइन डालने से सड़कें खराब हुई, पानी की निकासी में दिक्कत आएगी।

संसाधन: निगम के पास

निगम वाहन प्रभारी उमेश बैस के अनुसार बारिश में बचाव कार्य के लिए जेसीबी- 10, डंपर बड़े- 8, छोटे- 12, पोकलेन-1, छोटी जेसीबी- 4, ट्रैक्टर-ट्राली- 20, बिजली व पेड़ों के लिए हाइड्रोलिक प्लेटफार्म- 8 हैं। इनका उपयोग बचाव कार्य में किया जाएगा।

नई योजना: पानी निकालने के लिए

स्मार्ट सिटी मिशन में बाढ़ के पानी से बचाने के लिए स्ट्रॉम वाटर प्रोजेक्ट बनाया है। इसे केवल महाकाल क्षेत्र में लागू किया है। इसका विस्तार प्रस्तावित है। इसके तहत ऐसे क्षेत्र जहां पानी भरता है, वहां निकासी की व्यवस्था की जा सकती है। इसकी लागत 271 करोड़ आंकी है। अभी यह राशि मंजूर नहीं हुई है।

400 करोड़ का सीवरेज सिस्टम

निगम 400 करोड़ का सीवरेज सिस्टम डाल रहा है। यह चालू होने पर रूटीन घरेलू ड्रेनेज का पानी सीवरेज लाइन में जाएगा। खुले नाले और गटरों का उपयोग केवल बारिश के पानी की निकासी में होगा। इससे बारिश में जल भराव की समस्या कम होगी।

सीधी बात- क्षितिज सिंघल, निगमायुक्त, उज्जैन
निरंतर काम चल रहा है, अतिक्रमण व अवरोध हटाए गए हैं

बारिश में शहर को डूबने से बचाने के क्या इंतजाम किए?
-नालों की सफाई करा दी है, बाढ़ में बचाव के लिए टीम गठित कर दी है। संसाधन तैयार हैं।

पिछली बारिश में जहां पानी भर गया था, वहां अब तक सुधार क्यों नहीं हुआ? -जहां स्थायी उपाय किए जाने हैं, उन पर निरंतर काम चल रहा है। अतिक्रमण व अवरोध हटाए गए हैं।

नालों की सफाई भी इस बार ठीक से क्यों नहीं हुई? -कोरोना संक्रमण के दौरान कुछ काम रुका था लेकिन बाद में सभी नाले साफ करा दिए।

सीवरेज के काम के कारण इस बार ज्यादा समस्या आएगी, क्या इंतजाम हैं? -सीवरेज ठेकेदार को कहा है बारिश के पहले सभी जगह सड़क बना दे, कहीं जल भराव नहीं होना चाहिए।

शहर को जल भराव की समस्या से कब तक मुक्ति मिलेगी? -स्ट्रॉम वाटर प्रोजेक्ट महाकाल क्षेत्र में लागू किया है। यह बारिश के पानी की निकासी के लिए है। इसका आगे विस्तार कर सकते हैं।

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