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उज्जैन में आरटीओ माफिया:आरटीओ एजेंट के घर और ऑफिस पर मारा छापा
यहां प्रदीप शर्मा कौन है?, मैं हूं कहिए क्या काम है? लाइसेंस बनवाना है, बन जाएगा? हां, बन जाएगा। दस्तावेज क्या लगेंगे और पैसे कितने लगेंगे? आइए बैठिए तो सही, सब बताता हूं। इतनी चर्चा के बाद जब एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने अपना परिचय दिया तो एजेंट प्रदीप शर्मा के होश उड़ गए। उसने तत्काल आरटीओ संतोष मालवीय को मोबाइल किया और एडीएम की बात करवाई। एडीएम ने आरटीओ से कहा कि मैं यहां जांच करने आया हूं। इनसे कहो कि यह सहयोग करें। इसके बाद एडीएम ने एजेंट का मोबाइल स्विच ऑफ करके टेबल पर रख लिया और उससे पूछताछ करने लगे। उसके यहां रखे सरकारी दस्तावेज व सील को लेकर जैसे ही उन्होंने सवाल किए तो वह मोबाइल उठाकर भाग निकला।
यह सबकुछ गुरुवार शाम भरतपुरी क्षेत्र में आरटीओ कार्यालय के पीछे हुआ। कलेक्टोरेट में लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने यहां एजेंट शर्मा के दुकाननुमा निजी कार्यालय पर दबिश दी थी। एडीएम अपना शासकीय वाहन हाउसिंग बोर्ड कार्यालय के सामने दूर खड़ा करने के बाद ग्राहक बनकर एजेंट के यहां अकेले पहुंचे थे। जैसे ही आसपास के व्यापारियों व एजेंटों को ये जानकारी लगी कि पास में प्रशासन की टीम ने दबिश दी है तो हडकंप मच गया था। एजेंट के भाग जाने के बाद एडीएम सूर्यवंशी ने मौके पर आगे की कार्रवाई में सहयोग के लिए तहसीलदार अभिषेक शर्मा को बुलवा लिया था। साथ ही तहसीलदार पूर्णिमा सिंघी को पुलिस बल के साथ एजेंट के घर पहुंचकर जांच करने के निर्देश दिए थे।
आरटीओ एजेंट के घर और ऑफिस पर मारा छापा, सरकारी कागज मिले, सीलें भी जब्त…इधर इस पूरे मामले में एजेंट से मिलीभगत पाए जाने पर कलेक्टर आशीष सिंह ने आरटीओ संतोष मालवीय के निलंबन का प्रस्ताव संभागायुक्त को भेज दिया। साथ ही एजेंट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
सीधी बात: संतोष मालवीय, आरटीओ
सवाल : आज क्या कार्रवाई हुई है?
मैं कोरोना ड्यूटी में था। सूचना मिली थी कि ऑनलाइन दुकान पर छापा मारा है। यह सभी दुकानदार पंजीकृत है, सरकार ने उन्हें अधिकृत किया हुआ है। अवैधानिक नहीं है।
सवाल : उस एजेंट के यहां से आरटीओ कार्यालय की सरकारी सीलें व दस्तावेज मिले हैं?
ऐसा कुछ नहीं है। दो साल पहले परिवहन आयुक्त कार्यालय से सर्कुलर आया हुआ है कि काम होने के बाद फाइलें संबंधित आवेदन को लौटा दी जाए। क्योंकि संधारण की क्षमता नहीं है। इसलिए उन्हें फाइलें लौटा देते हैं।
सवाल : कार्रवाई के दौरान आप पहुंच गए थे?
मैं साढ़े पांच बजे पहुंचा था। तब तक एडीएम निकल गए थे।
सवाल : प्रदीप शर्मा ने मोबाइल पर एडीएम की बात करवाई थी आप से?
नहीं, मेरी बात नहीं करवाई थी। मुझे सूचना मिली थी तो मैंने ही एडीएम को फोन किया था।
आरटीओ भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे
^एजेंट की दुकान व घर से मिले शासकीय दस्तावेजों के आधार पर विस्तृत जांच प्रतिवेदन तैयार कर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जा सकती है। मामले में आरटीओ भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे।
– नरेंद्र सूर्यवंशी, एडीएम
दूसरे नंबर से फोन किया, टीम ने कहा स्पीकर ऑन करके बात करो
इधर जब एडीएम व दूसरी टीम वाहन में बैठक एजेंट के घर के लिए रवाना हाे रही थी, इसी बीच आरटीओ संतोष मालवीय भी आ गए थे। एडीएम ने आरटीओ मालवीय से कहा कि संबंधित को कहाे कि वह हमें जांच में सहयोग करें। इतना कहने के बाद यह अधिकारी यहां से रवाना हो गए थे। तहसीलदार पूर्णिमा सिंघी जब एजेंट के तीन बत्ती चौराहा क्षेत्र के विष्णुपुरा स्थित निवास पर पहुंचीं तो वह वहां नहीं मिला। उसकी पत्नी व अन्य परिजन घर पर थे। तहसीलदार सिंघी व पुलिस महिला को जांच में उसके यहां से तीन-चार सरकारी फाइलें मिली थी।
इन्हें जब्त किया जा रहा था तभी एजेंट ने पत्नी को दूसरे नंबर से मोबाइल किया। इस पर अधिकारियों ने स्पीकर ऑन करके बात करने को कहा। वह अपनी पत्नी से पूछ रहा था कि यह लोग क्या कर रहे हैं? उसकी पत्नी ने जवाब दिया कि कुछ दस्तावेज ले जा रहे हैं। बाद में टीम वहां से लौट आई।
ये जब्त हुआ एजेंट शर्मा के घर और ऑफिस से
एडीएम व तहसीलदार ने एजेंट के यहां से वाहनों से जुड़ी 50 से 70 फाइलें, तैयार लाइसेंस, सरकारी सील, रसीद कट्टा, रजिस्ट्रेशन कार्ड आदि दस्तावेज जब्त किए। इन सभी की सूची बनाई। बाद में दुकान को सील कर दिया।
पैरेलल आरटीओ चला रहा था शर्मा
अधिकारी हैरान थे कि सरकारी फाॅर्म, फाइलें, सील, लाइसेंस व रसीद कट्टे एजेंट के पास कैसे आए? किसके इशारे पर वह इन सभी का उपयोग करता आ रहा था? क्योंकि इन सभी का उपयोग आरटीओ कार्यालय में होना चाहिए था। मौके पर यह सब मिलने से ऐसा लग रहा था एजेंट पैरेलल आरटीओ कार्यालय चल रहा था। इससे आरटीओ कार्यालय व उसका गठजोड़ स्पष्ट हो रहा था।