उज्जैन में बढ़ रहे कैंसर के मरीज, फिर क्यों नहीं मिल रही सुविधा

विश्व कैंसर दिवस आज: देशभर से प्रशिक्षण लेने उज्जैन आते चिकित्सक लेकिन तीन साल में यूनिट तक ही सीमटी सुविधा, यूनिट से अस्पताल बनाने के प्रयास सिर्फ कागजों तक ही सीमित

उज्जैन. कैंसर मरीजों के उपचार व देखभाल की ट्रेनिंग के मामले में उज्जैन राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहा है लेकिन एक कड़वी हकीकत यह भी है कि तीन साल बाद भी कैंसर हास्पिटल का सपना महज सपना ही है। लंबी अवधि बितने के बावजूद कैंसर यूनिट कैंसर अस्पताल की जगह नहीं ले पाई है। यह स्थिति तब है जब जिले में लगातार कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

प्रतिवर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर पत्रिका ने जिले में कैंसर उपचार सुविधा की थाह ली तो जरूरत की तुलना में स्थिति कमजोर मिली। दरअसल शहर में तीन वर्ष पूर्व कैंसर यूनिट की शुरुआत की गई थी। तब इसे जल्द ही कैंसर अस्पताल के रूप में विकसित करने की योजना थी। जिले में कैंसर के बढ़ते मरीजों की संख्या के चलते कैंसर अस्पताल बनने से मरीजों को बड़ी सुविधा मिलने की उम्मीद जगी थी लेकिन एेसा नहीं हो पाया है। अभी भी मरीजों को यहां सिर्फ कीमो थैरेपी और पेलेटीव सुविधा ही मिल पा रही है। इस दौरान न ऑपरेशन थिएटर स्थापित हो सका और नहीं अस्पताल बन पाया है। यह स्थिति तब है अस्पताल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई बार प्रस्ताव मंगवाए जा चुके हैं।

 

देश के 200 डॉक्टर ने ली ट्रेनिंग

भले ही शहर में कैंसर अस्पताल की शुरुआत नहीं हो सकी हो लेकिन ट्रेनिंग के मामले में शहर देश में नई पहचान बना रहा है। बिते वर्षों में राजस्थान, महाराष्ट्र सहित 8 राज्यों के करीब 200 चिकित्सक प्रशिक्षण ले चुके हैं। इसके अलावा लगभग 550 नर्स प्रशिक्षण ले चुकी है। एेेसे में यदि कैंसर यूनिट को कैंसर अस्पताल में तब्दिल किया जाता है तो मरीजों को बड़ी सुविधा मिलने के साथ ही ट्रेनिंग सुविधा में भी बढ़ोतरी होगी जिसका फायदा पूरे देश में मिलेगा।

 

सौ बिस्तर का अस्पताल बनाने की है योजना

आगररोड स्थित सख्यारजे प्रसूतिग्रह भवन में 2 अक्टूबर 2016 को कैसर यूनिट स्थापित की गई थी। यूनिट को एक वर्ष में सौ बिस्तर के कैंसर अस्पताल के रूप में विकसित करने की योजना थी। यूनिट की शुरुआत से जिले के कैंसर पीडि़तों को कीमो थैरपी का लाभ तो मिला है लेकिन अस्पताल नहीं बनने के कारण न यहां मरीजों को भर्ती किया जा सकता है और नहीं जरूरी उपचार हो पा रहा है। उज्जैन में कैंसर सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर की कवायद शुरू होने पर अन्य शहरों के चिकित्सकों ने यहां सेवा देने का भरोसा दिलाया था। बड़े शहरों के डॉक्टर्स यहां आकर ऑपरेशन करने के लिए तैयार हो गए थे लेकिन ओटी ही नहीं बन पाया। एेसे में ब्रेस्ट कैंसर का ऑपरेशन तो निजी स्तर पर हो जाता है लेकिन अन्य ऑपरेशन के लिए मरीज को इंदौर, दिल्ली, अहमदाबाद, बड़ोदरा जाना पड़ रहा है।

 

3617 मरीज रजिस्टर, सिर्फ डे-केयर सुविधा

जिले व आसपास कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है जबकि यूनिट में महज एक डॉक्टर और तीन-चार नर्स ही पदस्थ हैं। यूनिट प्रारंभ होने के बाद अब तक यहां 3 हजार 617 मरीज पंजीकृत हो चुके हैं। पांच महीने पूर्व यह संख्या 3 हजार 350 के करीब थी। मरीजों की संख्या लगातार बढऩे के बावजूद याूनिट की सुविधा मेडिकल व पेलेटिव केअर तक सिमित है। मेडिकल में जहां किमो थेरेपी की सुविधा मिलती है वहीं पेलेटिव में एेसे मरीजों की देखभाल की जाती है जिनका उपचार तीन-चार वर्ष तक किया जा सकता है। भर्ती करने की सुविधा व संसाधन नहीं होने से मीरजों को किमो थेरेपी देकर उसी दिन लौटा दिया जाता है। वर्तमान में प्रतिदिन औसत 10 मरीज किमो थैरेपी के लिए यहां आते हैं। प्रस्ताव मांगे, बजट नहीं मिला कैंसर का ऑपरेशन करने के लिए यहां करीब डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से ऑपरेशन थिएटर स्थापित किया जाना है।बिते वर्षों में करीब आधा दर्जन बार भोपाल से इसके लिए प्रस्ताव मंगवाया जा चुका है लेकिन अभी तक न बजट मंजूर हो सका और नहीं ओटी निर्माण की कोई प्रक्रिया शुरू हुई।

 

इनका कहना

वर्तमान में कैंसर यूनिट में किमो थेरेपी व पेलेटिव केअर की सुविधा उपलब्ध है। यूनिट को कैंसर हास्पिटल बनाने की योजना है जिसके लिए शासन स्तर पर कार्रवाई प्रचलित है।

– डॉ. सीएम त्रिपाठी, कैंसर यूनिट प्रभारी

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