उज्जैन संभाग की सभी मंडियों में लेनदेन हुआ कैशलेस । आरटीजीएस तथा अकाउंटपेयी चेक से हो रहा है शत-प्रतिशत भुगतान । संभागायुक्त डॉ.पस्तोर ने इस दिशा में की विशेष पहल । नोटबन्दी का मंडियों के कामकाज पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं

सम्पूर्ण देश के साथ उज्जैन संभाग भी तेजी से कैशलेस की दिशा में अग्रसर हुआ है। संभाग की सभी 42 मंडियों में अब कैशलेस लेनदेन हो रहा है। मंडियों में आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) व अकाउंटपेयी चेक से भुगतान किये जा रहे हैं। इस कार्य में संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर ने विशेष पहल की है। उनकी पहल पर सब मंडियों में शिविर आयोजित किये गये। शिविरों में मंडी लेनदेन से सम्बन्धित व्यापारी, किसान से लेकर राजस्व विभाग तक के अधिकारी मौजूद रहे। कैशलेस व्यवस्था के लिये मंडियों में सम्बन्धित पक्षों को प्राथमिक रूप से वित्तीय साक्षर भी किया गया है। इस उदाहरण ने यह सिद्ध किया है कि नोटबन्दी का अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ मंडियों के कामकाज पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं हुआ है।

आंचलिक उप संचालक मंडी केएन त्रिपाठी ने बताया कि शत-प्रतिशत कैशलेस व्यवस्था के लिये आवश्यक था कि किसान से लेकर मंडी कर्मचारी तक वित्तीय रूप से साक्षर हों, कैशलेस लेनदेन की बारिकियां शिविरों के माध्यम से उनको समझाई गईं। शुरूआत में व्यापारियों द्वारा कुछ विरोध भी सामने आया, परन्तु जब आरटीजीएस और अकाउंटपेयी चेक से भुगतान शुरू हुए और बगैर किसी गड़बड़ी के शत-प्रतिशत भुगतान सफलता के साथ किये गये, तो सभी ने इस व्यवस्था को आत्मसात कर लिया है। संभाग की खातेगांव, मक्सी, शाजापुर एवं महिदपुर जैसी मंडियों में तो शत-प्रतिशत भुगतान आरटीजीएस से ही किये जा रहे हैं। अन्य मंडियों में आरटीजीएस के साथ ही अकाउंटपेयी चेक से भुगतान व्यवस्था सफलतापूर्वक सम्पादित की जा रही है।

गत वर्ष की तुलना में अधिक आवक और अधिक आय

संभाग की मंडियों में कैशलेस लेनदेन शत-प्रतिशत रूप से सफल हो रहा है। इसका उदाहरण इन मंडियों की जिन्स आवक और मंडी फीस के रूप में प्राप्त होने वाली आय से समझा जा सकता है। वर्ष 2015-16 के नवम्बर माह में संभाग की सभी 42 मंडियों में 25 लाख 34 हजार 255 क्विंटल विभिन्न जिन्सों की आवक हुई थी। यह मात्रा वर्ष 2016-17 के नवम्बर माह में आठ प्रतिशत बढ़ गई। वर्ष 2016-17 के नवम्बर माह में मंडियों में 27 लाख 29 हजार 307 क्विंटल जिन्सों की आवक हुई। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 के नवम्बर माह की तुलना में मंडियों की शुल्क आय में वर्ष 2016-17 के नवम्बर माह में सात प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वर्ष 2015-16 के नवम्बर माह में मंडियों को 17 करोड़ 10 लाख 98 हजार 659 रूपये शुल्क के रूप में प्राप्त हुआ था, जबकि वर्ष 2016-17 के नवम्बर माह में यह आय बढ़कर 18 करोड़ 30 लाख 51 हजार 115 रूपये हो गई। यह सिद्ध कर रहा है कि नोटबन्दी का मंडियों के कार्य पर कोई असर नहीं हुआ है। कैशलेस लेनदेन को सभी ने आत्मसात कर लिया है।

उज्जैन जिले की मंडियों में भी जिन्सों की आवक तथा आय में वृद्धि

संभाग की सभी मंडियों के साथ-साथ उज्जैन जिले की मंडियों में भी जिन्सों की आवक तथा आय में अपेक्षित इजाफा नवम्बर माह में परिलक्षित हुआ है। जिले की सातों मंडियों में वर्ष 2015-16 के नवम्बर माह में पांच लाख 15 हजार 110 क्विंटल विभिन्न जिन्सों की आवक हुई थी, जो वर्ष 2016-17 के नवम्बर माह में सात लाख 40 हजार क्विंटल दर्ज की गई। यह वृद्धि 44 प्रतिशत अधिक है। मंडी शुल्क में भी बढ़ोत्री दर्ज की गई। जिले की सातों मंडियों में वर्ष 2015-16 के नवम्बर माह में जहां तीन करोड़ 30 लाख 20 हजार रूपये मंडी शुल्क के रूप में प्राप्त हुए थे, वहीं वर्ष 2016-17 के नवम्बर माह में यह आय बढ़कर तीन करोड़ 91 लाख 49 हजार 433 रूपये हो गई। यह वृद्धि 19 प्रतिशत अधिक है।

इस प्रकार पूरे देश के साथ उज्जैन संभाग की मंडियों ने भी कदम से कदम मिलाकर कैशलेस व्यवस्था को शत-प्रतिशत रूप से अपनाकर उदाहरण प्रस्तुत किया है।

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