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एजुकेशन एक्सपर्ट्स सिरिज- पार्ट 1:डेडिकेशन, ईमानदारी और मेहनत सफलता के मंत्र हैं
कोरोना काल के बाद जैसे-जैसे बंदिशें हटती गईं, ऑफलाइन क्लासेस का ट्रेंड फिर सेट होने लगा है। स्कूल हो या कोचिंग्स। लेकिन डेढ़ साल के पीरियड में ऑनलाइन क्लासेस ने बहुत कुछ बदल दिया। यह बदलाव कितना कारगर है, कितना नहीं, यह परिणाम बताएंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए दैनिक भास्कर स्पेशल सीरिज शुरू कर रहा है। इसमे हर सोमवार हम शिक्षा जगत के एक्सपर्ट्स के इंटरव्यू लाएंगे। इससे न सिर्फ पढ़ाई की राह आसान होगी बल्कि उनके अनुभव, एग्जाम ट्रेंड्स और तरीकों का भी नॉलेज मिलेगा।
आज शुरुआत करते हैं कौटिल्य एकेडमी के प्रबंध निदेशक श्रीद्धांत जोशी (इंदौर) से। वे बता रहे हैं कि सफलता के मंत्र, कोविड काल ने पढ़ाई का तरीका और स्टूडेंट्स पर उसका असर।
Q. काम्पिटिशन एग्जाम में सफल होने का मूल मंत्र क्या है ?
A. एग्जाम कोई भी हो, सफलता के तीन ही मंत्र हैं। सबसे पहले जो करना चाहते हैं, उसके लिए डेडिकेशन यानी दृढ़ निश्चय, निष्ठा। यही वह चाबी है जो रास्ता बनाएगी जहां आप जाना चाहते हैं। दूसरा हार्ड वर्क। मेहनत का कोई शार्ट कट नहीं है। एग्जाम पास करना है तो सिलेबस पूरा करना ही होगा। टेस्ट पेपर सॉल्व करने ही होंगे। इसमें मेहनत का कोई ऑप्शन नहीं है। तीसरा ईमानदारी। यह बहुत जरूरी है। अपने से, अपनो से, टीचर से, पढ़ाई से परीक्षा तक।
Q. पुराने वक्त की परीक्षाओं और मौजूदा दौर में क्या–क्या बदल गया?
A. पुराने वक्त में एग्जाम में पांच लक्षण होते थे। अब जमाना मॉडर्न है। स्मार्ट डिवाइस, टेक्निकल एप्रोच इसमें जुड़ गए हैं। जो इनसे बचेगा, वह पिछड़ जाएगा। यह सूत्र वाक्य समझ लीजिए आप सभी। ऐसा नहीं है कि डेडिकेशन और बेसिक फंडामेंटल में कोई चेंज होगा। वह तो है ही। लेकिन टेक्नोलॉजी ने आपकी मेंटलिटी को बदल दिया है। ऑनलाइन और टेकनोलोजी बेहद ओरिएंटेडेड है, पॉजिटिव है।
Q. चयनित होने वाले विद्यार्थियों का कोई ट्रेंड है। गांव के है या शहर के। इंग्लिश मीडियम के है या हिंदी के भी?
A. अगर हम गर्वमेंट जॉब की बात करें तो निश्चित रूप से जो तैयारी करेगा सिलेक्शन उसका ही होगा। इसमें अर्बन एरिया, रुलर एरिया ऐसा नहीं है। पूरे प्रदेश को देखें और यूपीएससी की बात करें तो जो महानगरों का वर्चस्व था वह कहीं ना कहीं शिफ्ट होकर छोटे शहरों, छोटे गांव, बालाघाट जैसे जिले में गया है। देश् में केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य उभरे हैं। कई ऐसी चीजें उभर कर सामने आई है। इसमें पंजाब और हरियाणा के रिजल्ट का बढ़ना कहीं ना कहीं रुलर बे-ग्राउंड के वर्चस्व को दिखाता है। कठोर परिश्रम जहां होगा, रिजल्ट वहां से आएगा। हां ट्रेंड जरुर बदला है। अब छोटे शहर और गांवों से भी रिजल्ट्स आ रहे है। निश्चित रूप से यूपीएससी में इंग्लिश मीडियम का भी वर्चस्व बढ़ा है। मगर एमपीपीएससी में अभी भी हिंदी मीडियम टॉप पर है।